सिक्का का इस्तीफा, इंफोसिस में बढ़ेगा टकराव

Webdunia
शुक्रवार, 18 अगस्त 2017 (17:41 IST)
बेंगलुरु। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की देश की दूसरी बड़ी कंपनी इंफोसिस लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल सिक्का ने शुक्रवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन निदेशक मंडल ने उन्हें कार्यकारी उपाध्यक्ष बना दिया है।
 
सिक्का की नियुक्ति की समय अगस्त 2014 में काफी प्रशंसा करने वाले कंपनी के संस्थापक नारायण मूर्ति पिछले करीब 1 वर्ष से उनके विरुद्ध बयानबाजी शुरू कर दी थी। हालांकि, सिक्का अब तक इसकी अनदेखी कर रहे थे, लेकिन शुक्रवार को सुबह अचानक उन्होंने तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने की घोषणा कर दी।
 
इसके बाद निदेशक मंडल की बैठक हुई जिसमें उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया लेकिन उन्हें कार्यकारी उपाध्यक्ष बनाया गया जिस पद पर वे संभवत: मार्च 2018 तक रहेंगे। अभी कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी यूबी प्रवीण राव को अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है। 
 
सिक्का के इस्तीफे की घोषणा के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया और कंपनी के शेयर के भाव 13 फीसदी से अधिक लुढ़क गए। इंफोसिस के शेयर में रही जबरदस्त गिरावट से अपराह्न डेढ़ बजे तक बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स भी 133 फीसदी यानी 42194 अंक लुढ़ककर 31,37352 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 113 प्रतिशत यानी 11230 अंक की गिरावट में 9,79185 अंक पर आ गया।
 
इस बीच कंपनी के निदेशक मंडल ने सिक्का के इस्तीफे के लिए मूर्ति को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर आरोपों की झड़ी लगा दी। कंपनी ने अलग से एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि सिक्का के इस्तीफे का मुख्य कारण मूर्ति द्वारा निदेशक मंडल और कंपनी प्रबंधन पर लगातार किए जा रहे हमले और उनका मीडिया में जारी किया गया हालिया पत्र है। उसने कंपनी के संस्थापक के आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि उनके पत्र में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं तथा ऐसे अफवाह शामिल हैं जिनका कंपनी पहले ही खंडन कर चुकी है। पत्र में यह भी कहा गया है कि कंपनी के कॉर्पोरेट प्रशासन का स्तर गिरता जा रहा है।
 
निदेशक मंडल ने सभी शेयरधारकों, कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और आम लोगों से 'मूर्ति द्वारा किए जा रहे झूठे प्रचार' पर ध्यान नहीं देने का आग्रह किया है और कहा है कि कंपनी हमेशा उच्चतम अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट प्रशासन का पालन करती रहेगी।
 
सिक्का को कार्यकारी उपाध्यक्ष के पद पर रहने के दौरान 1 डॉलर वाषिक वेतन मिलेगा। 
निदेशक मंडल ने कहा किकंपनी और निदेशक मंडल के खिलाफ मूर्ति के दुष्प्रचार से कंपनी के कायाकल्प के प्रयासों पर नकारात्मक असर हो रहा है।
 
1 साल से ज्यादा समय से निदेशक मंडल मूर्ति के साथ बातचीत के जरिए मतभेदों को दूर करने की कोशिश कर रहा है जिससे कानून के दायरे में कोई समाधान निकाला जा सके और कंपनी की स्वायत्तता भी अक्षुण्ण रहे। लेकिन, दुर्भाग्यवश बातचीत के जरिए समाधान निकालने के प्रयास विफल रहे।
 
निदेशक मंडल ने कहा है कि वे इस सबके पीछे मूर्ति की मंशा को लेकर कोई अनुमान नहीं लगाना चाहता। उसने इस पत्र में एक-एक कर संस्थापक के आरोपों का खंडन किया है और सिक्का के कार्यकाल के दौरान कंपनी के अच्छे प्रदर्शन का विवरण दिया है। निदेशक मंडल ने स्पष्ट किया है कि कंपनी प्रबंध पूरी तरह सिक्का के साथ है।
 
सिक्का को अगस्त 2014 में उस समय कंपनी का प्रबंध निदेशक एवं सीईओ बनाया गया था जब कंपनी बुरे दौर से गुजर रही थी। निदेशक मंडल ने बताया कि इन 3 साल में कंपनी के प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार हुआ है। 
 
30 जून 2015 को समाप्त तिमाही में कंपनी का राजस्व 213 अरब डॉलर था, जो 30 जून 2017 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 265 अरब डॉलर पर पहुंच गया। उसका लाभ प्रतिशत 241 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो लगभग सभी आईटी कंपनियों से अधिक है।
 
इस बीच सिक्का ने भी कर्मचारियों के नाम एक खुले पत्र में लिखा है 'काफी सोच-विचार के बाद मैंने प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया है, जो शुक्रवार को से प्रभावी है। मैं निदेशक मंडल और प्रबंधन के साथ मिलकर अगले कुछ महीने तक काम करता रहूंगा ताकि उत्तराधिकार हस्तांतरण का काम सहज हो सके। जब तक नया प्रबंधन अस्तित्व में आता है मैंने निदेशक मंडल में उपाध्यक्ष के रूप में काम करते रहने के लिए हामी भर दी है। उन्होंने कहा कि प्रवीण को अंतरिम प्रबंध निदेशक एवं सीईओ बनाने के साथ ही उत्तराधिकारी ढूंढने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
 
सिक्का ने कहा कि वे कई सप्ताह से इस फैसले के बारे में सोच रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ माह के माहौल को देखने और काफी सोचने के बाद मेरे मन में अपने फैसले को लेकर कोई संदेह नहीं है। 
 
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट था कि कंपनी की पिछले 3 साल की उपलब्धियों के बावजूद वे सीईओ के रूप में अपना काम जारी नहीं रख सकते थे। लगातार आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण आरोपों का खंडन करना और कंपनी के मूल्यवर्द्धन के काम एकसाथ नहीं हो सकते थे। (वार्ता)
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