नई दिल्ली। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने पैकेटबंद सामान एवं खाद्य उत्पादों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि इन उत्पादों पर कर की चोरी हो रही थी, जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। कुछ राज्यों ने भी इसकी मांग की थी।
हालांकि, दालों, गेहूं, राई, जौ, मक्का, चावल, आटा, सूजी, बेसन, मुरमुरे और दही एवं लस्सी को खुले में बेचने और पैक या लेबल नहीं किए जाने पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा।
बजाज ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले इन आवश्यक वस्तुओं पर कर कई राज्यों में लगा हुआ था। इनसे राज्यों को राजस्व मिल रहा था। जुलाई, 2017 में जीएसटी प्रणाली आने के समय यह परिपाटी जारी रहने की परिकल्पना की गई थी। लेकिन जब नियम और परिपत्र सामने आए तो यह कर ब्रांडेड उत्पादों पर लगाया गया था।
नियमों के मुताबिक, अगर ब्रांड कार्रवाई-योग्य दावों को छोड़ देते हैं तो पहले से पैक किए गए सामानों पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। इसका फायदा उठाते हुए कुछ मशहूर ब्रांडों ने इन वस्तुओं को अपने ब्रांड नाम वाले पैकेटों में बेचना शुरू कर दिया लेकिन इस पर कोई कार्रवाई-योग्य दावा नहीं होने से उन पर पांच प्रतिशत जीएसटी नहीं लग रहा था।