सत्यम कम्प्यूटर के कर्मचारियों को हालाँकि निकालने का नोटिस नहीं मिला है, लेकिन कंपनी के 53000 कर्मचारी इस भयानक डर से गुजर रहे हैं। खासकर ऐसे वक्त में यह संकट पैदा हुआ है जबकि आईटी उद्योग में नौकरी के अवसर घट गए हैं।
पिछले साल तीन प्रमुख नियोक्ता में शामिल सत्यम तकनीशियनों के बीच बहुत लोकप्रिय थी। 2007 में ह्यूइट एसोसिएट्स और स्ट्रीट जर्नल एशिया की अध्ययन रपट में सत्यम को दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता घोषित किया गया था।
जयपुर के एक छात्र को जब फरवरी 2008 में सत्यम में नौकरी मिली तो उसने इंटरनेट पर एक संदेश दिया कि भगवान का शुक्र है कि मैं सत्यमाइट हूँ। उल्लेखनीय है कि कंपनी उसी समय अपने खातों में हेराफेरी कर रही थी।
सत्यम में काम करने वाले एक अन्य कर्मचारी रधु के ने कहा कि हम अब नौकरी के बारे में चिंतित हैं। वे कंपनी के संस्थापक रामलिंगा राजू द्वारा खातों में की गई हेराफेरी के खुलासे से निराश हैं।
बीपीओ-आईटी यूनियन यूनाइट्स प्रोफेशनल इंडिया के महासचिव कार्तिक शेखर ने कहा कि शुरुआती रपट से लगता है कि सत्यम के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर बहुत भयभीत हैं। हम कर्मचारियों से संपर्क करना चाह रहे हैं लेकिन उनके बोर्ड नंबर से उनसे संपर्क नहीं किया जा सका।