उन्होंने कहा कि पहले रैली में भारी भीड़ के कारण उन पर काबू पाना एक समस्या बन जाती थी। ऐसी स्थिति से बचने के लिए 18 जुलाई 2015 से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई है जिससे भीड़ पर काबू पाने में खासी मदद मिली है। उन्होंने कहा कि विगत में सेना की भर्ती रैलियों में एकत्र भीड़ को काबू के लिए लाठीचार्ज या आंसूगैस के गोले के उपयोग की नौबत आ जाती थी।
उन्होंने कहा कि ऐसी भर्ती रैलियों में हर जिलों को शामिल किया जाता है। इस संबंध में पर्याप्त समय दिए जाने के सुझाव पर उन्होंने कहा कि आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया दो महीना पहले शुरू की जाती है। कुछ सदस्यों ने इस बात की ओर उनका ध्यान खींचा कि कई स्थानों पर आनलाइन सुविधा नहीं होती है। इस पर पर्रिकर ने कहा कि सदस्यों द्वारा इस संबंध में विशिष्ट जानकारी देने पर वहां आनलाइन आवेदन की सुविधा मुहैया करायी जा सकती है।