सरकार ने बताया कि पिछले 3 वर्षों में अकादमिक तनाव समेत विविध कारणों से 4400 से अधिक छात्रों ने आईआईटी, एनआईटी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। सरकार ने आश्वासन दिया कि इस दिशा में सुधारात्मक उपाए किए जा रहे हैं।
स्मृति ने इस सवाल के लिखित जवाब में कहा कि इन संस्थाओं से बीच में पढ़ाई छोड़ने के कारणों में व्यक्तिगत कारण, स्वास्थ्य समस्या, पीजी कोर्स के दौरान नौकरी मिलना और अकादमिक तनाव नहीं झेल पाना आदि शामिल हैं।
2014-15 में आईआईटी मंडी, जोधपुर, कानपुर, मद्रा और रोपड़ में किसी छात्र ने बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ी। 2014-15 में 717 छात्रों ने एनआईटी में बीच में पढ़ाई छोड़ी जबकि 2013-14 में यह संख्या 785 थी तथा 2012-13 में यह 850 दर्ज की गई। देश में 16 आईआईटी और 30 एनआईटी हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि ऐसे छात्रों की मदद के लिए एक तंत्र है और सरकार अकादमिक तनाव से जुड़े मुद्दों को दूर करने को प्रतिबद्ध है। (भाषा)