एक ओर देश में भगवान राम से जुड़े रामसेतु को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। वहीं दूसरी ओर एक शिक्षण संस्थान ने उनके कथनों को मैनेजमेंट कोर्स में शामिल करने की योजना तैयार कर ली है। भगवान राम ने वनवास पर जाने के पूर्व अपने भाई भरत को प्रशासन व प्रबंधन की जितनी सलाह दी थी उनका रामायण से अध्ययन कर कोर्स में शामिल किया जा रहा है।
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के अधीन संचालित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में भगवान राम की भाई भरत को दी गई सलाह पर अध्ययन किया जा रहा है। इसमें बताया जाएगा कि किस प्रकार एक प्रबंधक को बेहतर प्रशासन के लिए नागरिक प्रबंधन की जरूरत पड़ती है। इस संस्थान मेंपहले से ही भीष्म पितामह की युधिष्ठिर को दी गई सलाह मैनेजमेंट कोर्स में शामिल है।
वचन और नियम सबसे पहले : संस्थान के उपकुलपति श्री वी. कुटुंबशास्त्री ने बताया कि हम प्रबंधन के छात्रों के लिए रामायण में भगवान राम की भाई भरत को दी गई बेहतर प्रशासन की सलाह का अध्ययन कर रहे हैं। इसके लिए एक योजना बनाई गई है। संस्थान में वर्तमान में महाभारत के कई तथ्य प्रबंधन के छात्रों को पढ़ाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया, ऐसे लगभग 400 सवाल हैं जो भरत ने भगवान राम से पूछे थे। तब भरत ने उन्हें वनवास पर नहीं जाने का आग्रह भी किया था, लेकिन उन्होंने वचन और नियमों की प्रतिबद्धता जताते हुए भरत के हाथों में शासन की कमान सौंपी थी। श्री कुटुंबशास्त्री ने बताया कि रामायण से राम की सलाह का अध्ययन कर उनका छात्रों के लिए अनुवाद किया जाएगा।
इससे आज के दौर में छात्रों को बेहतर व्यवस्था कायम करने में खासी मदद मिलेगी। रामायण के तथ्यों के संबंध में उन्होंने बताया कि सभी तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी हैं, केवल उन्हें पाठ्यक्रम के अनुसार क्रम में ढालना है। कुछ ही महीनों में नया पाठ्यक्रम शुरू कर दिया जाएगा।
बहस का असर नहीं हाल ही में रामसेतु मुद्दे पर छिड़ी बहस से नए पाठ्यक्रम पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में श्री कुटुंबशास्त्री ने कहा कि बहस से पाठ्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा, ये बहस का हिस्सा नहीं है।