एजीएम में रखा जाए निलंबन का मामला-मोदी

गुरुवार, 24 जून 2010 (13:35 IST)
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आईपीएल के निलंबित कमिश्नर ललित मोदी ने अपने खिलाफ कार्रवाई में बीसीसीआई सचिव एन. श्रीनिवासन की भागीदारी पर सवाल उठाते हुए बोर्ड की सालाना आमसभा की बैठक में अपने निलंबन का मामला रखने की माँग की है।

तीन जुलाई को बोर्ड की आमसभा की विशेष बैठक बुलाने के श्रीनिवासन के फैसले को अवैध और असंवैधानिक करार देते हुए मोदी ने बोर्ड के सचिव को पत्र लिखकर 48 घंटे की मोहलत दी है और कहा है कि इस समयसीमा के भीतर बोर्ड उनके निलंबन का मामला सहमति के लिए एजीएम में रखे। पत्र की एक प्रति बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर को भी दी गई है।

मोदी ने कहा कि मनोहर ने श्रीनिवासन का अनुरोध मानकर अनुशासन समिति से खुद को अलग कर लिया, लेकिन बोर्ड सचिव ने खुद ऐसा करने की जरूरत नहीं समझी क्योंकि वह निजी रंजिश निकालना चाहते हैं।

आईपीएल में अनियमितताओं और इंग्लैंड में समानांतर टी-20 लीग शुरू करने की कोशिशों के आरोप में मोदी को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।

मोदी ने श्रीनिवासन को लिखा कि मैं बीसीसीआई द्वारा मुझे जारी किए गए तीन कारण बताओ नोटिसों के जवाब का हवाला देता हूँ। इसमें मैने खास तौर पर कहा है कि आपको कार्रवाई से खुद को अलग-थलग कर लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैंने खास तौर पर कहा है कि आप निष्पक्ष नहीं है, आपकी मुझसे व्यक्तिगत रंजिश है और इस कार्रवाई का हिस्सा बनकर आप इसकी विश्वसनीयता खत्म कर देंगे। मैंने अनुरोध किया है कि आगे इस मामले की कार्रवाई वे करें जो पूरी तरह से निष्पक्ष हो।

श्रीनिवासन पर इन पत्रों के जवाब नहीं देने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि अखबारों के जरिए उन्हें पता चला कि श्रीनिवासन के फैसलों पर मुहर लगाने के लिए बोर्ड ने एसजीएम बुलाई है। उन्होंने कहा कि मुझे आपसे एक भी जवाब नहीं मिला। कई अखबारों में हालाँकि खबरे हैं कि आपने तीन जुलाई 2010 को बीसीसीआई की आमसभा की विशेष बैठक बुलाई है ताकि आपके फैसलों पर मुहर लगाई जा सके। मुझे अभी तक आपसे या बीसीसीआई से कोई जानकारी नहीं मिली है।

मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले मुझे प्रेस से 19 जून 2010 का एक दस्तावेज मिला जिसमें लिखा गया है, ‘बीसीसीआई द्वारा 26 अप्रैल, छह मई और 31 मई को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर ललित के मोदी के जवाब पर बीसीसीआई के मानद सचिव की कार्रवाई।’ यह दुखद है कि पूरा दस्तावेज मेरे जवाब के बारे में है और मुझे इसकी एक प्रति तक नहीं भेजी गई।

उन्होंने कहा कि मैं साफ तौर पर बता देना चाहता हूँ कि आपके किसी भी सुझाव या सिफारिश को मैं वैध नहीं मानता। ये आपके निजी फैसले हैं, बोर्ड के नहीं। बोर्ड को आपके द्वारा दिया गया कोई भी संदर्भ पूरी तरह से असंवैधानिक, अवैध और बेमानी होगा।(भाषा)

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