कोटला में शिकंजा कसने उतरेगा भारत

रविवार, 16 अक्टूबर 2011 (13:45 IST)
लगभग चार महीने बाद पहली जीत का स्वाद चखने वाली भारतीय टीम सोमवार को यहां दूसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में फिरोजशाह कोटला की अनुकूल परिस्थितियों का फायदा उठाकर इंग्लैंड से बदला लेने के अपने अभियान को नए मुकाम पर पहुंचाने की कोशिश करेगी। यह मैच दोपहर 2.30 बजे से प्रारंभ होगा।

भारत ने हैदराबाद में पहले मैच में 126 रन से जोरदार जीत दर्ज की जो जून में वेस्टइंडीज दौरे के बाद उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली जीत है। महेंद्रसिंह धोनी की अगुआई वाली युवा भारतीय टीम ने इंग्लैंड के हाथों उसकी सरजमीं पर टेस्ट और वनडे की करारी हार का बदला चुकता करने की नींव रख दी है और अब उसे मजबूती से आगे बढ़ाने की जरूरत है।

कप्तान धोनी को भी विश्वास है कि लगातार पांच वनडे गंवाने के बाद हैदराबाद में मिली जीत टीम के लिए टॉनिक का काम करेगी, हालांकि वह इसके लिए बदला चुकता करना जैसा शब्द का उपयोग नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा मुझे बदला शब्द काफी बहुत कड़ा लगता है लेकिन हमारे कुछ खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

इंग्लैंड की टीम एक सप्ताह से अधिक समय भारत में बिताने और दो अभ्यास मैच खेलने के बावजूद भी लगता है कि परिस्थितियों से तालमेल नहीं बिठा पा रही है और स्पिनरों के खिलाफ उसकी कमजोरी खुलकर सामने आई है।

भारत कोटला में भी उसकी इस कमजोरी को निशाना बनाना चाहेगा। यहां की पिच पर गेंद कुछ नीचे रहती है। ऐसे में इंग्लैंड के बल्लेबाजों के लिए रविचंद्रन अश्विन और रविंदर जडेजा की बलखाती गेंदें खेलना आसान नहीं होगा, जिन्होंने पहले मैच में तीन-तीन विकेट लेकर इंग्लैंड को 174 रन पर समेटने में अहम भूमिका निभाई थी।

कोटला की पिच में गेंद नीचे रहती है और इसे स्पिनरों के लिए भी मुफीद माना जाता है। इस साल विश्वकप के जो चार मैच यहां खेले गए थे उनमें स्पिनर ही हावी रहे थे। ऐसे में टॉस की भूमिका भी अहम होगी।

कोटला में अब तक खेले गए 19 वनडे मैच में टॉस जीतने वाली टीम केवल सात बार विजेता रही है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। पांच मैच की श्रृंखला की शानदार शुरुआत करने के बावजूद भारत की कुछ समस्याएं हैं। इनमें सचिन तेंडुलकर और वीरेंद्र सहवाग की अनुपस्थिति में शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों का लचर प्रदर्शन शामिल है।

भारत ने हैदराबाद में भी चोटी के चार विकेट 123 रन पर गंवा दिए थे और यदि धोनी और सुरेश रैना ने उसे नहीं संभाला होता तो स्थिति बिगड़ सकती थी।

पार्थिव पटेल और अजिंक्य रहाणे ने इंग्लैंड दौरे में तीन मैचों में अर्धशतकीय साझेदारी निभाकर टीम को अपेक्षित शुरुआत दिलाई थी लेकिन हैदराबाद में ये दोनों विश्वसीय बल्लेबाजी नहीं कर पाए।

गौतम गंभीर और विराट कोहली भी पिछले मैच की असफलता का हिसाब अपने घरेलू मैदान पर पूरा करना चाहेंगे जो अब तक उनके लिए भाग्यशाली नहीं रहा है। (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें