केविन पीटरसन के स्वदेश लौटने और वीरेंद्र सहवाग की असफलता के कारण अचानक उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरने वाली दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मंगलवार को यहां फिरोजशाह कोटला मैदान पर उत्साह से लबरेज किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ अपनी गाड़ी पटरी पर लाने की कोशिश करेगी।
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दिल्ली के अभी 18 अंक हैं और उसका प्लेऑफ में स्थान तय माना जा रहा है, लेकिन पिछले कुछ मैच से अचानक ही टीम के प्रदर्शन में गिरावट आई है। पिछले तीन मैच में से दो में हार से निश्चित तौर पर डेयरडेविल्स का प्रबंधन चिंतित होगा। दिल्ली एक जीत से अगर-मगर के चक्रव्यूह से बच जाएगी, लेकिन सहवाग एंड कंपनी ने जिस तरह से शुरुआत की थी, उससे वह अंक तालिका में शीर्ष पर रहने का ख्वाब पालने लगी थी।
अब भी टीम के पास इसका मौका है। इससे टीम को फाइनल में पहुंचने के लिए दो मौके मिलेंगे। इस लिहाज से उसके लिए पंजाब के खिलाफ होने वाले दोनों मैच काफी महत्वपूर्ण होंगे। पंजाब हालांकि उन टीमों में से है, जिसके प्रदर्शन में टूर्नामेंट बढ़ने के साथ सुधार आया है। उसने पिछले पांच में से चार मैच में जीत दर्ज की है।
जिस तरह से उसने मोहाली में डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ 191 रन का बड़ा लक्ष्य हासिल किया, उससे यह कहा जा सकता है कि वह दिल्ली को कोटला में कड़ी टक्कर देगी। पंजाब के अब 13 मैच में 14 अंक हैं और उसके लिए आगे का हर मैच करो या मरो जैसा है। उसका हर खिलाड़ी इससे अच्छी तरह वाकिफ है। यही वजह है उसे पिछले कुछ मैचों में मनदीप सिंह और गुरकीरत सिंह जैसे मैच विजेता मिल रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई डेविड वॉर्नर ने एक मैच में शतक जड़कर उनकी कमी पूरी करने की कोशिश की, लेकिन बाकी दो मैच में उनका बल्ला भी खामोश रहा। आलम यह था कि चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ तो उसके बल्लेबाज पांच विकेट पर केवल 114 रन ही बना पाए और टीम को नौ विकेट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।
डेयरडेविल्स की समस्या मध्यक्रम के बल्लेबाज रहे। अब तक सहवाग और पीटरसन के कारण उसके बाकी बल्लेबाजों को ज्यादा मौका नहीं मिला, लेकिन जरूरत पड़ने पर वे लगातार एक जैसा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे। महेला जयवर्धने, नमन ओझा, योगेश नागर और इरफान पठान ने अब तक टुकड़ों में ही अच्छा खेल दिखाया है।
रोस टेलर की खराब फॉर्म के कारण आंद्रे रसेल को उनकी जगह रखा गया। पंजाब के साथ इसके ठीक उलटा हुआ है। पाकिस्तानी ऑलराउंडर अजहर महमूद ने टीम में दो खिलाड़ियों की कमी पूरी कर दी। महमूद ने अब तक आठ मैच में 132 रन बनाने के अलावा दस विकेट भी लिए हैं। डेयरडेविल्स ने निश्चित तौर पर इस ऑलराउंडर के लिए खास रणनीति बनाई होगी।
मोर्ने मोर्कल की शानदार फॉर्म के कारण डेयरडेविल्स की गेंदबाजी कुछ मजबूत लगती है। मोर्कल अभी तक 21 विकेट ले चुके हैं। उन्हें उमेश यादव और इरफान पठान से भी अच्छा सहयोग मिला है। स्पिन विभाग में शाहबाज, नदीम और पवन नेगी जैसे युवा स्पिनरों ने किसी बड़े नाम की कमी नहीं खलने दी।
कोटला की पिच को देखते हुए फिर से स्पिनरों की भूमिका अहम होगी। पंजाब के पास पीयूष चावला के रूप में अनुभवी स्पिनर हैं, जो अब तक 15 विकेट ले चुके हैं। टीम हालांकि युवा परविंदर अवाना पर अधिक निर्भर रह सकती है। अवाना दिल्ली रणजी के खिलाड़ी हैं और कोटला की पिच से अच्छी तरह वाकिफ हैं। यदि रिकॉर्ड की बात करें तो इसमें पंजाब की टीम का पलड़ा भारी है।
अब तक डेयरडेविल्स और किंग्स इलेवन के बीच आठ मैच खेले गए हैं। इनमें से पांच मैच पंजाब ने जीते हैं। यदि कोटला की बात करें तो इस मैदान पर दोनों टीमों का तीन बार आमना-सामना हुआ है, जिसमें डेयरडेविल्स केवल एक मैच ही जीत पाया है। (भाषा)