महेंद्रसिंह धोनी की साक्षी रावत के साथ शादी की तैयारियाँ पिछले पंद्रह दिन से ही शुरू हो गई थी, लेकिन अपनी निजता को हमेशा प्राथमिकता देने वाले भारतीय कप्तान के प्रयासों से इसकी किसी को भनक नहीं लग पाई।
धोनी ने कल देहरादून से लगभग 25 किलोमीटर दूर जंगलों के बीच स्थित विश्रांति रिजॉर्ट में अपनी बचपन की मित्र साक्षी के साथ सात फेरे लिए। उन्होंने इससे एक दिन पहले ही यहाँ होटल में सगाई की थी। रिजॉर्ट के सूत्रों के अनुसार धोनी की शादी के लिये यहाँ 15 दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर दी गई थी, लेकिन किसी को भी यह नहीं बताया गया कि था कि शादी किसी और की नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट के नायक की है।
शादी के एक दिन बाद भी कंडोली गाँव और इसके आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम बरकरार हैं, हालाँकि धोनी अपनी पत्नी साक्षी के साथ आज तड़के राँची रवाना हो गए।
धोनी की शादी की गोपनीयता का आलम यह था कि राज्य पुलिस महानिदेशक सुभाष जोशी को भी इसकी जानकारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि उन्हें न तो कोई निमंत्रण मिला है और न ही कोई जानकारी है। उनके लिए यह शादी वैसे ही है, जैसे राज्य में होने वाली कोई अन्य शादी।
मीडियाकर्मियों ने अब भी इस क्षेत्र के आसपास डेरा डाला हुआ है जबकि उत्तराखंड पुलिस ने कहा है कि गाँव में शादी के आयोजन स्थल विश्रांति रिजॉर्ट के आसपास फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था बरकरार रहेगी।
देहरादून के एसएसपी अभिनव कुमार ने कहा कि परिवार के कुछ सदस्य अब भी रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं। इसलिए एहतियाती कदम उठाते हुए हमने वहाँ पुलिस तैनात कर रखी है। कुमार ने हालाँकि कहा कि कुछ पुलिसकर्मियों को हटा लिया गया है। उन्होंने बताया कि रिसोर्ट में अभी धोनी के कुछ मेहमान हैं इसलिए कुछ पुलिसकर्मियों को तैनात रखा जाएगा।
गाँव के एक निवासी और छात्र आकाश ने बताया कि तड़के से ही गाड़ियों का लौटना शुरू हो गया था। हालाँकि, उस समय तेज वर्षा होने के चलते घरों के अंदर बैठे गाँव के लोगों ने बाहर आने की हिम्मत भी नहीं जुटाई।
वहीं गाँव में रहने वाले 50 वर्षीय कश्मीरी लाल ने कहा, ‘रिजॉर्ट में शादी करने के लिए कई लोग आते हैं। लेकिन मीडियाकर्मियों और पुलिस का इतना बड़ा जमावड़ा हमने पहली बार देखा।’
मीडियोंकर्मियों को रिजॉर्ट में जाने की इजाजत नहीं थी और ऐसे में गाँव वालों ने उन्हें भोजन और चाय मुहैया कराई। शादी कवर करने के लिए दिल्ली से आए एक पत्रकार ने कहा कि गाँव के आसपास कोई दुकान नहीं थी इसलिए हम गाँव वालों के आभारी हैं कि उन्होंने हमें खाना और चाय मुहैया कराई विशेषकर रात में। (भाषा)