अपने कप्तानी करियर की शुरुआत में ही महेंद्र सिंह धोनी मैदान पर शांत स्वभाव रखते थे जिसके कारण वह बड़े से बड़े फैसले आसानी से ले पाए। चाहे वह टी-20 विश्वकप 2007 फाइनल में जोगिंदर शर्मा को गेंद थमाना, चाहे 2011 वनडे विश्वकप में खुद को प्रमोट करना ,चाहे टी-20 विश्वकप 2016 में बांग्लादेश के खिलाफ ग्लब्स उतार कर रखना जिस से रन आउट आसानी से हो पाए।
यही नहीं जीत के क्षणों में भी वह एक दम सामान्य व्यवहार कर रहे थे। पंत ने जब चौका लगाया तो सारे खिलाड़ी मैदान की तरफ भाग खड़े हुए पर रहाणे एक हल्की सी मुस्कान लिए इस जीत का मजा ले रहे थे। यह दिखाता है कि धोनी की तरह रहाणे भी एक परिपक्व कप्तान हैं। तभी तो टेस्ट कप्तानी में उनका अभी तक अविजित रिकॉर्ड है।
गौरतलब है कि महेंद्र सिंह धोनी की तरह रहाणे को भी एक मुश्किल परिस्थिती में कप्तानी मिली थी। धोनी को टी-20 की कप्तानी तब मिली थी जब फैंस के मन में वनडे विश्वकप 2007 में मिली करारी हार के जख्म ताजा थे। वहीं रहाणे को 0-1 से पिछड़े होने पर और टेस्ट पारी में 36 ऑल आउट के बाद कप्तानी की जिम्मेदारी मिली। देखना होगा क्या वह धोनी की तरह ही कैप्टन कूल बनकर कप्तानी की लंबी पारी खेलते हैं या उन्हें यह जिम्मेदारी कभी कभार मिलती है। (वेबदुनिया डेस्क)