1- टेस्ट चैंपियनशिप पर होने चाहिए थी नजर
	चयन समिति की नजर टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल पर होनी चाहिए थी ना कि कप्तान बदलने की। ऐसे मौके पर जब भारत के पास प्रदर्शन के लिए सिर्फ 4 टेस्ट बचे हैं तो बार बार कप्तानी बदलने से टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। विराट को स्थायी कप्तानी इंग्लैंड सीरीज के बाद भी दी जा सकती थी।
	 
	2- कप्तानी पहले से ही सवालों के घेरे में 
	विराट कोहली की कप्तानी पहले से ही सवालों के घेरे में है। सोशल मीडिया पर तो जोरों शोरो से विराट हटाओ रहाणे लाओ का नारा चल रहा है लेकिन जब आपको इसी प्लेइंग 11 में एक बेहतर कप्तान मिल रहा है तो फिर उसे मौका न देकर समिति यह बता रही है कि कमी उनमें ही है जो सामने रखी चीजों का आंकलन ढंग से नहीं कर सकती।
	 
	3- रहाणे की परीक्षा - तुक्का या गुण 
	इंग्लैंड सीरीज में रहाणे को अगर कप्तान बनाया जाता तो उनके गुणों की परीक्षा भी हो जाती। यह भी तय हो जाता कि कहीं बॉर्डर गावस्कर सीरीज की जीत एक तुक्का तो नहीं थी। क्योंकि तुक्का सिर्फ एक बार लगता है बार बार नहीं। इस सीरीज से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता। लेकिन समिति ने ऐसा करना ठीक नहीं समझा।(वेबदुनिया डेस्क)