वर्ष 1996 विश्व कप में श्रीलंका की अगुवाई कर टीम को खिताब दिलाने वाले रणतुंगा बोर्ड से भ्रष्टाचार खत्म करने की कोशिश में चुनाव में जीत हासिल करने के प्रयास में जुटे थे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने हाल में श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को खेल की सबसे भ्रष्ट राष्ट्रीय संस्था करार दिया था। पूर्व कप्तान रणतुंगा सरकार में मंत्री भी हैं और वे 30 मई से इंग्लैंड में शुरू होने वाले विश्व कप से पहले श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड में आने की उम्मीद लगाए थे।
रणतुंगा के सहयोगी जयंत धर्मदास भी श्रीलंका क्रिकेट अध्यक्ष बनने की मुहिम में विफल रहे। वे रणतुंगा के चिरप्रतिद्वंद्वी और एसएलसी के पूर्व प्रमुख तिलंगा सुमतिपाला के वफादार शम्मी सिल्वा से हार गए। सुमतिपाला दो साल से ज्यादा समय तक इस पद पर काबिज रहे लेकिन 2018 के शुरू में हटने के बाद उन्होंने फिर से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया।