भारतीय टीम जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला के तीसरे निर्णायक वनडे के लिए यहां मैदान पर उतरी तो खिलाड़ियों ने नाडकर्णी को श्रद्धांजलि देने के लिये बांह में काली पट्टी बांधी हुई थी। सनद रहे कि बाएं हाथ के बल्लेबाज और स्पिन गेंदबाज बापू नाडकर्णी सुनहरे भारतीय क्रिकेट इतिहास के 'युग पुरुष' कहे जाते थे।
नासिक में जन्में बापू नाडकर्णी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दिल्ली में 1955 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और आखिरी टेस्ट मैच 1968 में न्यूजीलैंड के खिलाफ ही खेले। भारत के लिए 41 टेस्ट मैच खेलने वाले बापू नाडकर्णी ने 1414 रन बनाने के अलावा 88 विकेट भी झटके। टेस्ट मैच में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 43 रन देकर 6 विकेट लेने का रहा। वे प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खूब चमके और 8880 रन बनाने के अलावा 500 विकेट लेने में सफल रहे।
1966 में इंग्लैंड के खिलाफ मद्रास (अब चेन्नई) टेस्ट को बापू नाडकर्णी की बेहतरीन गेंदबाजी के लिए जाना जाता रहा है। इस टेस्ट में बापू ने लगातार 21 ओवर मेडन डाले। उन्होंने 32 ओवर की गेंदबाजी में 27 ओवर मेडन रखे और सिर्फ 5 रन दिए। हालांकि उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। इतने अधिक ओवर मेडन डालने का 54 साल से रिकॉर्ड बापू के नाम ही दर्ज है।
नाडकर्णी भारत की तरफ से किफायती गेंदबाजी करने के लिए मशहूर रहे। उन्होंने 1960-61 में कानपुर में पाकिस्तान के खिलाफ 32 ओवर डाले, 24 ओवर मेडन रहे और सिर्फ 23 रन खर्च किए। इसके अलावा दिल्ली में पाकिस्तान के खिलाफ उनका गेंदबाजी विश्लेषण था 34-24-24-1