नई दिल्ली। विधि आयोग ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सरकारी संस्था मानने और इसे सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में लाने की सिफारिश की है।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी एस चौहान की अध्यक्षता वाले 21वें विधि आयोग ने अपनी 275वीं रिपोर्ट विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद को सौंपी, जिसमें उसने कहा है कि बीसीसीआई सरकार के एक अंग के तौर पर काम करता है, इसलिए इसे आरटीआई के दायरे में लाया जाना चाहिए।
आयोग ने कहा है कि बीसीसीआई को कर की छूट और भूमि अनुदानों के तौर पर संबंधित सरकारों से अच्छा खासा वित्तीय लाभ मिलता है, इसलिए इसे सरकार के अंग के तौर पर माना जाना चाहिए। विधि आयोग का कहना है कि जब देश के अन्य खेल संघ आरटीआई के तहत आते हैं तो फिर बीसीसीआई को इससे बाहर क्यों रखा जाए?
आयोग की 275वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसीसीआई ही नहीं, बल्कि क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था की शर्तों को पूरा करने वाले राज्य क्रिकेट संघों को भी आरटीआई के दायरे में लाया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के रूप में काम करता है।
बोर्ड के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में कहा गया है कि बीसीसीआई का कार्य एवं उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय क्रिकेट टीमों का चयन करने के अलावा देश में क्रिकेट खेल पर नियंत्रण, गुणवत्ता में सुधार और नीतियां आदि तैयार करना है।
इतना ही नहीं लोकसभा में केंद्र सरकार ने भी बीसीसीआई को एनएसएफ करार दिया है, ऐसी स्थिति में किसी भी संशय को दूर करने के लिए सरकार को खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर इस क्रिकेट बोर्ड को एनएसएफ की सूची में शामिल करना चाहिए।
आयोग का कहना है कि सरकार ने यदि ऐसा कर दिया तो बीसीसीआई आरटीआई एक्ट के दायरे में खुद-ब-खुद आ जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएसएफ की सूची में शामिल सभी खेल निकाय आरटीआई कानून के दायरे में हैं तो यह समझ से परे है कि बीसीसीआई को क्यों इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए?
बीसीसीआई टैक्स में छूट के रूप में सरकार से बहुत ज्यादा वित्तीय लाभ हासिल करता है। ऐसे में उसे जवाबदेह भी बनाया जाना चाहिए। पिछले साल केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भी यह स्पष्ट किया था कि बीसीसीआई एक एनएसएफ है।
हालांकि तब उसने आरटीआई कानून के तहत इसे सार्वजनिक संस्था घोषित नहीं किया था। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने जुलाई 2016 में विधि आयोग से कहा था कि वह यह बताए कि बीसीसीआई को आरटीआई कानून के दायरे में लाया जा सकता है या नहीं।
आयोग ने विधि मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बीसीसीआई को संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत निजी के बजाय सार्वजनिक संस्था के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। आयोग ने यह अनुशंसा बीसीसीआई के कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए की है।