धोनी के नाम पर 'बिहारी वीडियो' में निकाली दिल की भड़ास...

Webdunia
पटना। सोशल मीडिया में इन दिनों एक 'बिहारी वीडियो' काफी चर्चा में है, जिसमें बिहार के क्रिकेटरों की दयनीय हालत  से लेकर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर तंज कसते हुए जमकर भड़ास निकाली जा रही है।  धोनी के लंबे बालों से लेकर उनके हेलीकॉप्टर शॉट के बारे में कहा गया है कि उनसे भी कहीं ज्यादा प्रतिभाशाली क्रिकेटर बिहार में थे, जो राजनीति के शिकार हो गए।


असल में सोशल मीडिया पर सामग्री परोसने वाले ये अच्छी तरह से जानते हैं कि जब तक किसी सैलिब्रिटी के कंधे पर बंदूक रखकर नहीं चलाएंगे, तब तक चर्चा में नहीं आएंगे। यही कारण है कि 'बिहारी वीडियो' के जरिए रांची के एमएस धोनी को निशाना बनाया जा रहा है।

वीडियो में क्रिकेटर ने अपने उस दर्द को बयां किया है, जो दर्द हर मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आए क्रिकेटरों का है। अंगुली पर गिने जाने वाले लोगों को छोड़ दीजिए, भारतीय टीम की कैप पहनने वाला हर क्रिकेटर गरीबी से निकलकर अपनी प्रतिभा के बूते शीर्ष स्थान पर पहुंचा है।

महेंद्र सिंह धोनी को आज लोग चमकते हुए सितारे के रूप में देख रहे हैं तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि इस क्रिकेटर ने भी गरीबी देखी है, रेलवे में टिकट चेकर की नौकरी की और अपने क्रिकेट करियर को खुद के बूते  संवारा। बीसीसीआई में न तो उनका कोई गॉडफादर था और न कोई आका...

11 बरस पहले 2007 में टी20 विश्व कप में उसी लंबी-लंबी जुल्फों वाले महेंद्र सिंह धोनी नाम के कप्तान ने भारत को विश्व विजेता बनाया था और 2011 के 50 ओवरों वाले आईसीसी विश्व कप में भारत को 28 सालों के बाद चैंपियन बनने का गौरव प्रदान किया था। मुंबई में श्रीलंका को हराकर चैंपियन बनने के बाद धोनी ने खुद कहा था कि मैंने सचिन तेंदुलकर का विश्व कप जीतने का सपना साकार कर दिया।

सचिन तेंदुलकर हों या महेंद्र सिंह धोनी या फिर टी20 के बादशाह रोहित शर्मा...इन सभी ने अपने शुरुआती क्रिकेट जीवन में संघर्ष का लंबा सफर तय किया है। रोहित शर्मा के पास तो स्कूल में पढ़ाई के लिए फीस भरने के पैसे तक नहीं होते थे। 30 अप्रैल 1987 को नागपुर में गुरुनाथ शर्मा के घर जन्मे रोहित की मां का नाम पूर्णिमा है।

रोहित की संघर्ष यात्रा के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। रोहित के पिता गुरुनाथ जो ट्रांसपोर्ट पर नौकरी करते थे, वह छूट गई थी...परिवार पर घोर आर्थिक संकट था। परिवार एक कमरे में छोटे भाई विशाल के साथ बसर कर रहा था, जबकि रोहित को घरवालों ने नाना-नानी और मामा के पास भेज दिया था। सप्ताहांत वे अपने माता-पिता से मिलने जाते थे।

रोहित ने जब 1999 में एक क्रिकेट कैंप में दाखिला लिया तो वहां के कोच दिनेश साद ने उन्हें मुंबई के बोरीवली में स्वामी विवेकानंद स्कूल जाने के लिए कहा, जहां वे खुद कोच थे। तब रोहित ने उनसे कहा कि वे इतने गरीब हैं कि स्कूल की फीस का खर्च नहीं उठा सकते। कोच दिनेश ने रोहित को चार साल तक की स्कॉलरशिप दिलवा दी और यहीं से उन्होंने क्रिकेट के गुर सीखकर क्रिकेट की दुनिया में अपनी अलग जगह बनाई।

यदि बिहार से धोनी और सबा करीम के अलावा क्रिकेटर नहीं निकले तो इसका सबसे बड़ा कारण 20 साल तक बिहार की रणजी टीम का बीसीसीआई से विवाद का होना रहा, लेकिन जैसे सबा के पास बंगाल से खेलकर नाम कमाने का विकल्प था तो ये विकल्प अन्य खिलाड़ियों के सामने भी रहा। फिर क्यों नहीं वे बिहार का मोह छोड़कर दूसरे राज्यों से जाकर खेले? कुल मिलाकर बिहारी वीडियो में धोनी को निशाना बनाकर भड़ास निकाली गई है। धोनी का नाम भी इसलिए लिया जा रहा है, ताकि सुर्खियां बटोरी जा सकें। (वेबदुनिया न्यूज) 

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