इस परीक्षण से खिलाड़ी को अपनी रफ्तार को बढ़ाने, मोटापा कम करने, दमखम बढ़ाने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। पता चला है कि बीसीसीआई ने टीम ट्रेनर शंकर बासु की सिफारिश पर इस परीक्षण को शुरू किया है ताकि राष्ट्रीय टीम के लिए अधिक व्यापक फिटनेस कार्यक्रम तैयार किया जा सके।
डीएनए परीक्षण या आनुवंशिक फिटनेस परीक्षण से 40 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति की फिटनेस, स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित तथ्यों के बारे में पता किया जा सकेगा। इसके बाद संपूर्ण विश्लेषण के लिए प्रत्येक क्रिकेटर के डीएनए आंकड़ों को एक व्यक्ति विशेष का वजन और खान-पान जैसे परिवेशी आंकड़ों के साथ मिलाया जाएगा।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि हां, हमने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पिछले कुछ समय से डीएनए परीक्षण शुरू किया है। यह फिटनेस के नए मापदंडों के अनुसार किया जा रहा है जिन्हें टीम प्रबंधन ने तय किया है। डीएनए परीक्षण सबसे पहले अमेरिका में एनबीए (बास्केटबॉल) और एनएफएल में शुरू किए गए।
उन्होंने कहा कि शंकर बासु ने यह आइडिया दिया और यह काफी लाभकारी साबित हुआ है। प्रत्येक खिलाड़ी के परीक्षण में बीसीसीआई को 25 से 30 हजार रुपए के बीच खर्च करना पड़ रहा है जो कि काफी कम धनराशि है। इससे पहले भारतीय टीम का शरीर में वसा के प्रतिशत का पता करने के लिए स्किनफोल्ड टेस्ट और बाद में डेक्सा टेस्ट होता था। (भाषा)