धोनी क्रिकेट के अलावा इन बातों के लिए दुनियाभर में चर्चित रहे
रविवार, 7 जुलाई 2019 (17:20 IST)
7 जुलाई 1981 को रांची में जन्मे महेंद्र सिंह धोनी के पिता का नाम पानसिंह और माताजी का नाम देवकी देवी है। परिवार में एक भाई नरेंद्र सिंह और बहन जयंती हैं। धोनी के खेल जीवन की शुरुआत क्रिकेट से नहीं हुई अलबत्ता वे स्कूली दिनों में बैडमिंटन और फुटबॉल खेला करते थे। फुटबॉल कोच ने उनकी गोलकीपिंग देखकर उन्हें क्रिकेट में विकेटकीपिंग का सुझाव दिया।
1998 में धोनी ने अपने क्रिकेट जीवन की शुरुआत की और बिहार की अंडर-19 से खेलना शुरू किया। 1999-2000 में बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी में हिस्सा लिया। उसके बाद उन्होंने देवधर ट्रॉफी, दुलीप ट्रॉफी और केन्या के भारत A के दौरे में शानदार प्रदर्शन करके चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
23 दिसंबर 2004 में उन्हें पहली बार उन्हें भारत की वनडे टीम में जगह मिली लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ पदार्पण मैच में वे 0 पर आउट हो गए। इसके बाद धोनी की किस्मत का सितारा ऐसा चमका कि फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
'टारजन' कहकर चिढ़ाया : 2004 में टीम इंडिया के बांग्लादेश दौरे के वक्त धोनी के बड़े-बड़े बाल थे और दर्शक उन्हें 'टारजन' कहकर चिढ़ाया करते थे लेकिन धोनी ने कभी इसका बुरा नहीं माना। भारतीय टीम जब 2006 में सौरव गांगुली की कप्तानी में पाकिस्तान दौरे पर गई, तब भी धोनी की लंबी-लंबी जुल्फें आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी।
परवेज मुशर्रफ को भी पसंद आई थीं जुल्फें : लाहौर में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा वनडे मैच खेला गया था, तब पुरस्कार वितरण समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने धोनी की जुल्फों पर कमेंट करते हुए उनसे कहा था कि आपकी हेयर स्टाइल शानदार है, इसे कभी मत कटवाना। इस मैच में धोनी को 'प्लेयर ऑफ द मैच' घोषित किया गया था जिन्होंने 46 गेंदों पर नाबाद 72 रन ठोंककर 289 का लक्ष्य तय किया था।
2011 का विश्व कप जीतते ही कसम तोड़ी : 2011 के विश्व कप में धोनी और उनके धुरंधरों का एक ही सपना था कि वे सचिन तेंदुलकर को विश्व कप की जीत के साथ विदाई दें। इसके लिए धोनी ने कसम खाई थी कि यदि वे विश्व कप जीत गए तो अपना सिर मुंडवा देंगे।
...और श्रीलंका को वानखेड़े स्टेडियम में हराने के बाद धोनी गायब हो गए। असल में वे नाई के यहां गए थे और उन्होंने अपना सिर घोटमोट करवा दिया। यही कारण है कि फोटो सेशन में वे गंजे के रूप में ट्रॉफी को हाथ में लिए नजर आए।
बाइक के शौकीन धोनी : धोनी ने जब क्रिकेट जीवन की शुरुआत की थी, तब वे कोच के स्कूटर के पीछे बैठकर जाया करते थे। जब धोनी ने क्रिकेट के जरिए पैसा कमाया तो कई बाइकें खरीदीं। जब भी वे क्रिकेट से दूर रहकर घर जाते तो अपनी पसंद की बाइक निकालकर उस पर तेज रफ्तार से सवारी करते। आज भी उनके रांची स्थित बंगले के गैराज में बाइकें रखी हुई हैं।
धोनी को मिले पुरस्कार और सम्मान : 2005-06 में भारत-श्रीलंका की एकदिवसीय सीरीज में धोनी को पहला 'मैन ऑफ द सीरीज' का पुरस्कार मिला। इसके बाद उन्हें लगातार 2008 और 2009 के लिए आईसीसी प्लेयर ऑफ द ईयर पुरस्कार के लिए चुना गया। धोनी को 2007 में राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार और 2009 में पद्मश्री से नवाजा गया। इसके बाद उन्हें पद्मभूषण अवॉर्ड भी मिला।