पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच लीड्स में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में बटलर का बल्ला विवादों में आ गया। जोस बटलर ने अपने बैट के हैंडल पर भद्दी गाली लिख रखी थी जिसकी सोशल मीडिया पर खुब आलोचना हुई। हालांकि बटलर ने कहा कि मैंने खुद को मोटिवेट करने के लिए ये मैसेज बैट पर लिखा था।
आईसीसी के नियम के मुताबिक कपड़ों, बल्ले या शरीर पर कोई भी निजी संदेश आईसीसी की अनुमति के बिना नहीं लिखा जा सकता है।
क्रिकेट इतिहास में ये पहला मौका नहीं है, जब किसी खिलाड़ी के बल्ले को लेकर इतना विवाद हुआ हो। इससे पहले भी बल्ले को लेकर विवाद हुए हैं और इसका इतिहास काफी पुराना रहा है। आइए, जानते हैं वो मौके जब क्रिकेट के बैट को लेकर विवाद हुए...
थॉमस वाइट का मॉनस्टर बल्ला-
जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का कोई नामोनिशान नहीं था और लोग अपने मनोरंजन के लिए क्रिकेट खेला करते थे, तब चेर्ट्सी और हैंब्लेटन के बीच खेले गए मैच के दौरान बैट को लेकर विवाद हुआ था। क्रिकेट के इतिहास में ये पहला मौका था, जब क्रिकेट बैट को लेकर इतना बड़ा विवाद हुआ था। चेर्ट्सी टीम के खिलाड़ी थॉमस वाइट मैदान पर ऐसा बल्ला लेकर उतरे जिसकी चौड़ाई सामान्य से बहुत ज्यादा थी। यह इतना बड़ा था कि पूरे विकेट को ढंक ले रहा था। ऐसे में विपक्षी टीम ने इसका विरोध किया, क्योंकि ऐसे में बल्लेबाज को आउट करना काफी मुश्किल था। इसके बाद क्रिकेट में यह नियम बन गया कि कोई भी खिलाड़ी ऐसा बैट इस्तेमाल नहीं कर सकता जिसकी चौड़ाई सवा 4 इंच से अधिक हो।
रसेल का काले रंग का बल्ला-
ऑस्ट्रेलिया में खेली जाने वाली बिग बैश लीग 2016 के एक मैच में विंडीज के खिलाड़ी आन्द्रे रसेल द्वारा काले रंग का बल्ला इस्तेमाल किया गया था जिसका मैच आयोजकों ने काफी विरोध किया था। उनका कहना था कि बैट के रंग की वजह से गेंद का रंग प्रभावित हो रहा है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने ही रसेल को इस बल्ले से खेलने की इजाजत दी थी। विवाद होने पर उन्होंने इस पर बैन लगा दिया।
पोंटिंग का ग्रेफाइट वाला बल्ला-
2005 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान रहे रिकी पोंटिंग अपने कार्बन ग्रेफाइट वाले बैट को लेकर काफी विवादों में रहे। बैट की निर्माता कंपनी कोकोबूरा ने इसमें कार्बन ग्रेफाइट की परत लगाई थी। एमसीसी ने इसको लेकर आईसीसी से शिकायत की और कहा कि कार्बन ग्रेफाइट की वजह से बल्ले में अतिरिक्त पॉवर आ जाती है, जो बल्लेबाज के लिए काफी फायदेमंद होती है। पोंटिंग के बल्ले की बारीकी से जांच करने के बाद एमसीसी ने इस बल्ले के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी। पोंटिंग ने उसी बल्ले के साथ 2004-05 में सिडनी टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ दोहरा शतक लगाया था।
लिली का एल्युमीनियम बल्ला-
1979 में खेली गई एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली एल्युमीनियम का बल्ला लेकर मैदान पर उतरे थे। इससे कुछ दिन पहले भी वे वेस्टइंडीज के खिलाफ इसी बल्ले को लेकर बल्लेबाजी करने मैदान पर आए थे जिससे गेंद खराब हो रही थी। उस दौरान ऐसा कोई नियम नहीं था कि बैट सिर्फ लकड़ी का ही होना चाहिए। इंग्लैंड के कप्तान ने उनके इस बल्ले के इस्तेमाल का विरोध किया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा कप्तान ग्रेग चैपल ने उन्हें लकड़ी का बल्ला खेलने के लिए दिया तब यह विवाद थमा।
हेडन का मंगूस बल्ला-
आईपीएल के सीजन 2010 में ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन ने एक अलग ही तरह के बैट का इस्तेमाल किया था। ये बैट पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले बैट जैसा ही था लेकिन इसका हैंडल बैट के हिट करने वाले हिस्से से ज्यादा बड़ा था और बैट के पूरे ही हिस्से से अच्छे शॉट लगाए जा सकते थे। हेडन अपने इस मंगूस बैट के कारण विवादों में रहे। हेडन ने इस बल्ले से खेलते हुए 1 पारी में 43 गेंदों में 93 रन बना दिए। यह बैट गेंद को हिट करने के लिए तो काफी अच्छा था, लेकिन डिफेंड करने के लिए ये बल्ला सही नहीं था जिसके कारण बाद में यह बैट ज्यादा सफल नहीं रहा।
गेल का गोल्डन बल्ला-
बिग बैश लीग के सीजन 2015 में में क्रिस गेल के गोल्डन कलर के बैट ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। ये बल्ला स्पॉर्टन कंपनी का था और इसे गोल्डन कलर में रंगा गया था। गेल रंगीन बैट का इस्तेमाल करने वाले पहले खिलाड़ी थे। गेल के इस बल्ले पर काफी विवाद पैदा हुआ। बहुत सारे लोगों का यह मानना था कि इस बैट के अंदर मेटल लगा हुआ है। लेकिन स्पॉर्टन के मालिक ने इस विवाद को खारिज कर दिया और कहा कि बल्ले पर सिर्फ गोल्डन कलर लगाया गया है उसके अंदर कोई भी मेटल नहीं लगा हुआ है।