पर्थ। भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली भले ही 40 साल के बाद ऑस्ट्रेलिया में लगातार 2 टेस्ट जीतने का सपना लेकर शुक्रवार को दूसरे टेस्ट में मैदान पर उतरे हों लेकिन उनके बल्लेबाजों के लिए आने वाले 4 दिन किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होने वाले हैं। इसका कारण पर्थ की पिच के मिजाज का बदलना है। ऑस्ट्रेलिया ने पहले दिन टॉस जीतकर 6 विकेट खोकर 277 रन बनाए हैं। फिलहाल वह भारत के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित स्थिति में है।
पर्थ की जिस विकेट पर यह टेस्ट मैच शुरू हुआ है, उससे पहले यहां सिर्फ एक प्रथम श्रेणी का मैच खेला गया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर नाथन लियोन ने 7 विकेट लिए थे। इस मान से लियोन के हौसले आसमान को छूने वाले हैं। भारत ने अश्विन की गैरमौजूदगी में सिर्फ एक स्पिनर हनुमा विहारी को मैदान में उतारा है, जिन्होंने दोपहर बाद तेज धूप से तड़के पिच का फायदा उठाकर 2 विकेट झटके।
पर्थ के पिच पर कुछ हरियाली छोड़ी गई है। इस हरियाली को देखकर भारतीय तेज गेंदबाजों की बांछें जरुर खिल गईं थी लेकिन सुबह का पहला सत्र ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाजों मार्कस हैरिस (70) और आरोन फिंच (56) के नाम रहा, जिन्होंने पहले विकेट के लिए 112 रन जोड़े। दूसरे सत्र में भारत ने वापसी की और 3 विकेट लिए जबकि तीसरे सत्र में बराबरी का मुकाबला हुआ। यानी जहां ऑस्ट्रेलिया ने 37 ओवरों में 132 रन जोड़े तो भारतीय गेंदबाज 3 विकेट लेने में सफल रहे।
पर्थ का विकेट जितना आसान दिख रहा है, वह उतना है नहीं और दूसरे दिन के बाद जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ेगा, तेज धूप की वजह से वह टूटता जाएगा। ऐसे में बल्लेबाजों को रन बनाने के लिए जूझना पड़ेगा। यह भूलना भी बेमानी बात होगी कि चौथी पारी खेलने के लिए भारत को ही मैदान में उतरना होगा। ऑस्ट्रेलिया की कोशिश होगी कि वह स्कोर को 350 तक ले जाए। यदि वह ऐसा करने में सफल रहा तो मैच पर हावी हो सकता है।
पहले दिन के खेल में हैरिस और फिंच के अर्द्धशतक के अलावा ऑस्ट्रेलिया के स्कोर को बढ़ाने में ट्रेविस हेड (58) और शॉन मार्श (50) ने निर्णायक भूमिका निभाई। ईशांत शर्मा और हनुमा विहारी ने 2-2 विकेट लिए जबकि बुमराह, उमेश यादव और मोहम्मद शमी के हिस्से में 1-1 विकेट आया। ऑस्ट्रेलिया ने लंच तक एक भी विकेट नहीं खोया था और भारत के जिन तेज गेंदबाजों से विकेट गिराने की उम्मीद की जा रही थी, उन्होंने निराश किया।
एडिलेड टेस्ट की कहानी को याद करना भी जरूरी है, जहां भारत के निचले क्रम ने महज 40 रन जोड़े थे तो वहीं दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया के पुछल्ले बल्लेबाजों ने 132 रन बनाकर भारत को जीत के लिए तरसाया था। ऑस्ट्रेलिया की जमीं पर पहली बार पहला ही टेस्ट जीतने के बाद भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं और वह 40 साल बाद लगातार 2 टेस्ट जीतने के लिए हर अस्त्र का इस्तेमाल करेगी। इससे पहले 1977-78 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया दौरे में लगातार 2 टेस्ट जीते थे।
भारत उस कारनामे को दोहराना चाहता है तो सबसे पहले उसे सधी बल्लेबाजी करनी होगी, जो विकेट की तासीर को देखते हुए मुश्किल नजर आ रही है। ऑस्ट्रेलिया का तेज और स्पिन आक्रमण भारत से ज्यादा मजबूत है। कोहली को कहीं न कहीं इसका मलाल जरूर हो रहा होगा कि काश! वह एक स्पिनर को लेकर जंग लड़ने उतरे, क्योंकि हनुमा विहारी प्रैक्टिस मैच के बॉलर हैं और ऐसे में यदि उन्होंने 53 रनों की कीमत पर 2 विकेट झटके हैं तो यह एक तरह से टीम इंडिया के लिए 'बोनस' ही माना जाएगा।
पिच पर ग्रीन टॉप आने वाले 4 दिनों में हर दिन नया रंग दिखाने वाला है। ऐसे में बल्लेबाजों के लिए रन बनाना बहुत मुश्किल होगा जबकि स्पिन गेंदबाज हावी रहेंगे। यदि नाथन लियोन इस टेस्ट के 'तुरूप के इक्के' साबित होते हैं तो ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में वापसी करने के दरवाजे भी खुल जाएंगे। वैसे टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से पहला दिन अच्छा रहा क्योंकि बल्लेबाजों ने जहां 277 रन बनाए तो गेंदबाजों ने 6 विकेट निकाले...