दिल्ली ग्रुप 'ए' में 27 अंक लेकर दूसरे स्थान पर रहा था। वह सत्र के पहले मैच में असम के खिलाफ जीत से चूक गया लेकिन इसके बाद उसने तीन मैचों में जीत दर्ज की और इनमें से दो मैचों में बोनस अंक हासिल किए। मध्यप्रदेश ने जीत से शुरुआत की और वह ग्रुप सी में तीन जीत, एक हार और दो ड्रॉ से 21 अंक लेकर शीर्ष पर रहा था।
इन दोनों टीमों के मुकाबले में दिल्ली का पलड़ा कुछ भारी नजर आ रहा है लेकिन टीम के लिए आत्ममुग्धता भारी पड़ सकती है क्योंकि मध्यप्रदेश की टीम चौंकाने वाले परिणाम देने में सक्षम है। दिल्ली की जीत में अब तक उसके बल्लेबाजों ने अहम भूमिका निभाई है। दिल्ली के पास गौतम गंभीर के रूप में अनुभवी बल्लेबाज हैं, जिन्होंने छह मैचों में दो शतकों की मदद से 404 रन बनाए हैं।
मध्यक्रम में नितीश राणा (466 रन) ने टीम को मजबूती दी है जबकि ऋषभ पंत, ध्रुव शोरे, मनन शर्मा, हिम्मत सिंह भी बड़ी पारियां खेलने में सक्षम हैं। कप्तान 23 ईशांत शर्मा (20 विकेट) और विकास मिश्रा (24) विकेट के अलावा नवदीप सैनी और मनन शर्मा पर दिल्ली की गेंदबाजी का भार रहेगा। मध्यप्रदेश की तरफ से रजत पाटीदार (418 रन) और हरप्रीत सिंह (444 रन) ने अधिक जिम्मेदारी उठाई।
उसकी टीम में कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं है लेकिन देवेंद्र बुंदेला के रूप में टीम के पास अच्छा अनुभवी कप्तान है। बल्लेबाजी में उसका दारोमदार इन तीनों के अलावा शुभम शर्मा और विकेटकीपर बल्लेबाज नमन ओझा पर भी रहेगा। मध्यप्रदेश को हालांकि अब तक अच्छी शुरूआत नहीं मिल पाई है। पाटीदार के साथ उसने तीन खिलाड़ियों को आजमाया है लेकिन कोई भी उनका अच्छा साथ नहीं दे पाया जो कि टीम के लिए चिंता का विषय है।
मिहिर हिरवानी और ईश्वर पांडे गेंदबाजी विभाग की अगुवाई करेंगे। लेग स्पिनर हिरवानी ने अब तक छह मैचों में 25 विकेट लिए हैं और अनुकूल परिस्थितयों में वह दिल्ली के बल्लेबाजों को परेशानी में डाल सकते हैं। क्वार्टर फाइनल के अन्य मैचों में मौजूदा चैंपियन गुजरात जयपुर में बंगाल से भिड़ेगा जबकि केरल का सूरत में विदर्भ से सामना होगा। रिकॉर्ड 41 बार का चैंपियन मुंबई नागपुर में कर्नाटक का सामना करेगा। (भाषा)