तेंदुलकर ने यहां एक किताब के विमोचन समारोह के दौरान कहा, 'कोच, गुरु हमारे माता-पिता की तरह हैं क्योंकि हम उनके साथ इतना समय बिताते हैं, हम उनसे इतनी सारी चीजें सीखते हैं।'
तेंदुलकर ने कहा, '(आचरेकर) सर कभी कभी सख्त थे, बेहद सख्त और साथ ही ख्याल भी रखते थे और प्यार करते थे। सर ने मुझे कभी नहीं कहा कि अच्छा खेले लेकिन मुझे पता है कि जब सर मुझे भेल पूरी या पानी पूरी खिलाने ले जाते थे तो वह खुश होते थे, मैंने मैदान पर कुछ अच्छा किया था।'
उन्होंने कहा, 'मैं एक महीने के लिए जा रहा था और मेरी मां चिंतित थी। मेरे पिता उन्हें कह रहे थे कि यह हमारे बीच सबसे तेज और चतुर है, उसे पता है, वह परिपक्व बच्चा है। मुझे काफी अच्छा लगा लेकिन इस स्वतंत्रता के साथ मेरे दिमाग में कहीं ना कहीं यह बात थी कि स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है और मुझे अपनी स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।' (भाषा)