शेन वॉटसन ने अचानक लिया टेस्ट क्रिकेट से संन्यास

रविवार, 6 सितम्बर 2015 (18:46 IST)
सिडनी। ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर शेन वॉटसन ने रविवार को अचानक अपने 10 वर्ष पुराने टेस्ट क्रिकेट करियर पर विराम लगाते हुए तुरंत प्रभाव से रिटायरमेंट की घोषणा कर सभी को चौंका दिया।
         
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। 34 वर्षीय वॉटसन ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 59 टेस्ट खेले, जिसमें 35.19 के औसत से 3731 रन बनाए तथा 33.68 के औसत से 75 विकेट लिए। वॉटसन ने वर्ष 2005 में अपना टेस्ट पदार्पण किया था। ऑस्ट्रेलियाई टीम का अहम अंक रहे वॉटसन पिछले कुछ समय से चोट और फार्म से जूझ रहे थे।
         
हाल ही में इंग्लैंड में संपन्न हुई एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की हार के बाद से ही वॉटसन के लंबे प्रारूप में फार्म सवालों के घेरे में थी। वॉटसन को शनिवार को लार्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए वनडे मैच में मांसपेशियों में खिंचाव के कारण कुछ समय के लिए मैदान से बाहर जाना पड़ा था। उन्होंने इस मैच में 39 रन की पारी खेली थी। ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच 64 रन से जीता था। 
        
वॉटसन ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा पर कहा 'यह निर्णय लेना आसान नहीं था खासतौर पर गत माह के बाद। लेकिन मुझे लगता है कि यह आगे बढ़ने का सही समय है। मुझे उम्मीद है कि मैं सीमित प्रारूप क्रिकेट वनडे और ट्वंटी में खेल सकूंगा। मैंने बहुत विचार के बाद ही यह निर्णय लिया है। मैं भावनाओं के भंवर में फंसा था कि मेरे लिए, परिवार और टीम के लिए क्या सही होगा।'
 
वॉटसन ने कहा पिछले कुछ वर्षों से मेरे दिमाग में रिटायरमेंट के निर्णय को लेकर स्थिति काफी साफ हो गई थी कि मेरे लिए क्या सही है। मुझे पता था कि मैंने अपना सब कुछ खेल को दे दिया है और अब कुछ नहीं बचा है। इसलिए यह सही समय है कि मैं अब आगे के बारे में सोचूं। मेरे अंदर अब लड़ने की अधिक क्षमता नहीं है खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट के लिए। टेस्ट में शारीरिक, मानसिक और तकनीकी श्रेष्ठता की जरूरत होती है और इसलिए मुझे लगा कि टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का यह सही समय है।'
 
ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंड की फिटनेस पिछले काफी समय से बड़ी समस्या रही है और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनवरी 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ पदार्पण करने वाले वॉटसन ने ऑस्ट्रेलिया के लिए पिछले 10 वर्षों में केवल 50 से कुछ अधिक ही टेस्ट खेले हैं। चोटों से लबे समय तक जूझने के कारण एक समय क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने वॉटसन को उनका ऑलराउंडर दर्जा तक छोड़कर केवल बल्लेबाजी पर ध्यान देने के लिए कह दिया था। 
         
हालांकि इंडियन प्रीमियर लीग(आईपीएल) में राजस्थान रायल्स के पूर्व कप्तान और अहम खिलाड़ी रहे वॉटसन को ट्वंटी 20 लीग में काफी सफलता हाथ लगी और वर्ष 2008 में लीग के पहले ही संस्करण में उनकी टीम खिताब जीतने में कामयाब रही। आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के बाद वॉटसन को टेस्ट टीम में वापिस जगह बनाने में मदद मिली।
 
साइमन कैटिच के बाद वर्ष 2011 के मध्य में वॉटसनको टीम का उपकप्तान बनाया गया जबकि माइकल क्लार्क कप्तान बने। लेकिन इस दौरान उनकी बल्लेबाजी का ग्राफ काफी नीचे आ गया और अधिक गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर को चोटों का सामना करना पड़ा। इसी कारण उन्हें काफी समय टेस्ट टीम से बाहर रहना पड़ गया। वॉटसन कुछ समय विवादों में भी घिरे रहे जब उन्हें भारत दौरे पर कप्तान क्लार्क और कोच मिकी आर्थर के साथ मतभेदों के कारण निलंबित कर दिया गया।
                 
इंग्लैंड के खिलाफ संपन्न एशेज सीरीज में भी वॉटसन को केवल एक कार्डिफ टेस्ट में खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने 30 और 19 रन की निराशाजनक पारियां ही खेली जबकि बाकी के चार टेस्टों में चयनकर्ताओं ने वॉटसन को बाहर बैठाए रखा। चयनकर्ताओं और टीम के इस रवैए को भी वॉटसन के अचानक संन्यास की वजह माना जा सकता है।
                     
हालांकि वॉटसन ने इसे लेकर कहा 'मुझे नहीं लगता कि यह कारण है। मैंने कई अलग अलग बातों को सोचने के बाद यह निर्णय लिया है। मैंने पिछले एक महीने कई लोगों से इस बारे में बात की लेकिन पिछले कुछ दिनों में मैं जिन लोगों से मिला उन्होंने मुझे इस मसले पर बिल्कुल साफ राय दी जिससे मैं अपना निर्णय लेने में सफल रहा। इसमें मेरा परिवार और वह शख्स शामिल है जो खुद इसी दौर से गुजरा है।' (वार्ता)

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