बीसीसीआई ने कहा था कि अदालत के समक्ष सवाल यह था कि याचिकाकर्ता (और अन्य आरोपी) पर संबंधित दंड सहिता के तहत आपराधिक मामला चले या नहीं। बोर्ड ने कहा कि दूसरी तरफ बीसीसीआई की अनुशासन समिति के सामने सवाल यह था कि याचिकाकर्ता ने भ्रष्टाचार और मैच फिक्सिंग तथा बीसीसीआई के आंतरिक अनुशासन नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं। बीसीसीआई ने कहा था कि अनुशासन जांच की तुलना में दंड संहिता के लिए जरूरी सबूत का स्तर काफी ऊंचा होता है।
फैसले का अध्ययन करेगी बीसीसीआई की कानूनी टीम : बीसीसीआई ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय द्वारा तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत पर से आजीवन प्रतिबंध हटाए जाने के फैसले का वह अध्ययन करेगा। बीसीसीआई के रुख के बारे में पूछने पर कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने कहा कि फैसला आया है। बीसीसीआई की कानूनी टीम इस पर गौर करके अपनी प्रतिक्रिया देगी।
उनकी राय ली जाएगी और उचित मंच पर रखी जाएगी। केरल क्रिकेट संघ के सचिव जयेश जॉर्ज ने कहा कि हम पहले दिन से श्रीसंत के साथ हैं। उस दौरान हम दिल्ली में थे। अब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद हमें उम्मीद है कि उसका जीवन सामान्य हो जाएगा। हम चाहते हैं कि वे फिर केरल के लिए खेलें। उन्होंने कहा कि हमने दो साल पहले बीसीसीआई से अपील की थी कि श्रीसंत पर लगाया प्रतिबंध हटाया जाए चूंकि दिल्ली में एक निचली अदालत ने उसे क्लीन चिट दी थी।
अब केरल की अदालत के फैसले के बाद बीसीसीआई उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है। हमें नहीं पता कि उसका क्या रुख होगा। यह पूछने पर कि क्या श्रीसंत को रणजी टीम में शामिल किया जाएगा, उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में कहा नहीं जा सकता लेकिन यह संघ का सामूहिक फैसला होगा। चयन समिति उसकी फिटनेस को देखकर तय करेगी। (भाषा)