10 साल पहले आज ही सिर पर गेंद लगने से फिल ह्यूज का हुआ था निधन, जानें कैसे

WD Sports Desk

बुधवार, 27 नवंबर 2024 (13:22 IST)
क्रिकेट के खेल में बल्लेबाजी और गेंदबाजी में हर दिन बनने वाले रिकार्ड की चर्चा तो बहुत होती है, लेकिन कभी कभी ऐसा कुछ हो जाता है, जो इतिहास में अलग तरह से दर्ज होता है। वर्ष 2014 में 27 नवंबर को भी एक ऐसी ही घटना हुई, जब ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज फिलिप ह्यूज का एक मैच के दौरान सिर में बाउंसर लगने से निधन हो गया।

हालांकि, यह इस तरह की पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी विभिन्न देशों के खिलाड़ी बल्लेबाजी के दौरान अथवा क्षेत्ररक्षण के दौरान गेंद लगने से अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें भारत के बल्लेबाज रमन लांबा शामिल हैं। चार टेस्ट मैच और 32 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले रमन लांबा की 1998 में ढाका में एक क्लब मैच में क्षेत्ररक्षण के दौरान सिर पर गेंद लगने से मौत हो गई थी।

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने दी श्रद्धांजली

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अपने इस बाएं हाथ के बल्लेबाज को इस अवसर पर श्रद्धांजली अर्पित की। इस बल्लेबाज पर जल्द ही एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म आएगी जो 6 दिसंबर को रीलीज होगी।

Forever 63 not out. Forever in our hearts.

10 years on, we remember Phillip Hughes. pic.twitter.com/TxN1TWwXxM

— Cricket Australia (@CricketAus) November 26, 2024

Here's your first look at our new documentary celebrating the life and legacy of Phillip Hughes.

'The Boy from Macksville' airs December 6 on @FoxCricket, @7cricket and https://t.co/7zqZfepdLN pic.twitter.com/ONeeIuGunp

— cricket.com.au (@cricketcomau) November 24, 2024
पच्चीस वर्षीय ह्यूज की सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच मैच के दौरान सीन एबट की बाउंसर सिर में लगने के दो दिन बाद 27 नवंबर को मौत हो गई थी। स्कोर बोर्ड में पहले उन्हें रिटायर्ड हर्ट दिखाया गया था लेकिन अब उसे नाबाद कर दिया गया था।उस ही हफ्ते वह अपना 26वां जन्मदिन मनाते लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

'सबारकोनाएड हैमरेज' बना मौत का कारण

डॉक्टर ने बताया था कि ह्यूज की चोट को डॉक्टरी भाषा में 'सबारकोनाएड हैमरेज' कहते है जब पीड़ित की रक्तवाहिनी फट जाती है और उससे खून का रिसाव दिमाग में होने लगता है। उन्होंने बताया था कि तब तक क्रिकेट गेंद से हुआ यह मात्र दूसरा मामला है।

सेंट विंसेट अस्पताल के ट्रॉमा सर्जरी प्रमुख टोनी ग्रैब्स ने कहा था कि ह्यूज को मैदान पर ही कुछ उपचार दिया गया था , जिसके कारण उनकी स्थिति और खराब नहीं हुई और समय पर ही उन्हें एयर एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया था। इसके बाद उनकी सर्जरी कर दिमाग पर दबाव को कम करने का प्रयास किया गया लेकिन 48 घंटों में उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ और इसी कारण उनका निधन हुआ था।

हेलमेट बदला, कनकशन सबस्टिट्यूट का नियम आया

इस हादसे के बाद लगातार सवाल उठे  कि बल्लेबाज को किस तरह के हेलमेट पहनने चाहिए ताकि वे खतरनाक तेज गेंदबाजों के सामने सुरक्षित रह सकें। इस दर्दनाक घटना के बाद हेलमेट की बनावट में बदलाव आया और पीछे सिर और गर्दन की जोड़ की जगह पर भी कंपनियों ने सुरक्षात्क ढांचा देना शुरु किया।

यही नहीं अगर यह कहा जाए कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कनकशन प्रोटोकोल इस घटना के कारण ही शुरु हुआ तो गलत नहीं होगा। अब किसी भी क्रिकेटर को अगर हेलमेट पर चोट लगती है तो फीजियो मैदान पर आता है और उसकी प्रथम दृश्या जांच के बाद ही उसको फिट घोषित करता है।

इसके अलावा कनकशन सबस्टिट्यूट का नियम भी आया जिससे सिर पर मैदान पर चोटिल होने वाले खिलाड़ी की जगह उस ही भूमिका का कोई खिलाड़ी अंतिम ग्यारह में उसकी जगह ले सकता है।

ऐसा रहा फिलिप ह्यूज का करियर

न्यू साउथ वेल्स के एक छोटे से केले की खेती के लिए मशहूर इलाके मैक्सविले में 30 नवंबर 1988 को जन्मे ह्यूज ने अपनी प्रतिभा और क्रिकेट के लिए जुनून के दम पर 18 वर्ष की आयु में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा था। वर्ष 2009 में बेहद कम उम्र में टेस्ट क्रिकेट में कदम रख ह्यूज ने क्रिकेट के दिग्गजों को अपनी ओर आर्कषित किया था।

हालांकि अपनी तकनीक और खासतौर पर शार्ट पिच गेंदों को खेलने में हमेशा असहज महसूस करने वाले ह्यूज को आलोचना का शिकार होना पड़ा था और वह राष्ट्रीय टीम में कभी स्थाई जगह हासिल नहीं कर पाए थे।

ओपनिंग बल्लेबाज ने अपने संक्षिप्त करियर में 26 टेस्टों में 32.65 के औसत से 1535 रन बनाए जबकि 25 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 35.91 के औसत से 826 रन बनाए। उन्होंने 34 ट्‍वेंटी 20 मैचों में 42.69 के बेहतरीन औसत से 1110 रन भी बनाए। ह्यूज इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस टीम का हिस्सा भी रहे थे।

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