पोद्दार बंगाल के कप्तान थे, लेकिन उन्होंने दो बार राजस्थान के साथ खेलते हुए भी रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनायी थी। वह 1970-71 रणजी सत्र में 70.25 की औसत से 562 रनों के साथ तीसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी थे।
पोद्दार ने सेवानिवृत्ति के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के 'टैलेंट रिसोर्स डेवलपमेंट विंग' (टीआरडीएस) के अधिकारी के रूप में काम किया जिसे 2002 में युवा और होनहार भारतीय क्रिकेटरों को ढूंढने के लिये स्थापित किया गया था। दिलीप वेंगसरकर को तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष स्वर्गीय जगमोहन डालमिया द्वारा स्थापित इस पैनल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।पोद्दार को टीआरडीएस में काम करते हुए 2003 में महेंद्र सिंह धोनी को ढूंढने का श्रेय दिया जाता है।
पोद्दार ने उस समय बतौर टीआरडीएस अधिकारी राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में भेजी गयी रिपोर्ट में धोनी के बारे में लिखा था, “ गेंद को अच्छी तरह मारता है, उसके पास बहुत शक्ति है लेकिन उसे विकेट-कीपिंग पर काम करने की जरूरत है। तकनीकी रूप से बहुत अच्छा नहीं है। विकेटों के बीच दौड़ने में बेहतरीन है। ”
इसके बाद धोनी को 2003/04 में भारत-ए के लिये चुना गया, जबकि 23 दिसंबर 2004 को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे कदम रखा। भारत ने धोनी की कप्तानी में टी20 विश्व कप 2007, एकदिवसीय विश्व कप 2011 और चैंपियन्स ट्रॉफी 2013 का खिताब अपने नाम किया।(वार्ता)