कोई गरीबी से तो कोई लड़ा मोटापे से, ऐसा रहा टीम इंडिया के 5 नए हीरो का संघर्ष

Webdunia
बुधवार, 20 जनवरी 2021 (19:07 IST)
कहा जाता है कि दुनिया सिर्फ सफलता पर तालियां बजाती है उसके पीछे की कड़ी मेहनत उसे नजर नहीं आती है। कुछ ऐसा ही कहा जा सकता है टीम इंडिया की यंग ब्रिगेड के लिए जिन्होंने कड़ी मेहनत और मशक्कत से भारत को ब्रिस्बेन में ऐतिहासिक जीत दिलाई।
 
हालांकि टीम इंडिया के क्रिकेट फैंस उनके जीवन का कड़ा संघर्ष नहीं देख पा रहे हैं। नटराजन, सिराज, सुंदर,  ठाकुर और सैनी सबने ही यहां तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया है।
 
टी नटराजन
 
आईपीएल की खोज रहे 29 वर्षीय बाएं हाथ के गेंदबाज टी नटराजन एक लूम वर्कर के बेटे हैं। वित्तीय संकट ऐसा था कि कई बार नए जूते खरीदने के लिए सौ बार सोचना पड़ता था और क्रिकेट किट खरीदना तो सपने जैसा था। आईपीएल में 16 विकेट लेने वाले नटराजन के दिन फिरे लेकिन अभी तक वह अपनी बेटी से नहीं मिल पाए हैं जो ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले जन्मी थी।
 
नवदीप सैनी
 
दाएं हाथ का यह गेंदबाज भी बेहद गरीब परिवार से था। उनके पिता एक सरकारी ड्रायवर थे। परिवार उनकी क्रिकेट की कोचिंग पर ज्यादा पैसा नहीं खर्च कर सकता था। इस कारण उन्होंने 300 रुपए के लिए एक्सीबीशन मैच खेलने शुरु किए। ताकि कमाई हो सके। एक प्रेक्टिस मैच देखने गए और गंभीर को प्रभावित करने में सफल रहे। यहां से वह सफल होते चले गए।
 
शार्दुल ठाकुर 
 
मुंबई की सीनियर टीम में चयन होने से पहले शार्दूल ठाकुर मोटापे से जूझ रहे थे। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुल्कर ने उनको वजन कम करने की सलाह दी ताकि वह लंबे समय तक क्रिकेट खेल पाएं। शार्दुल ठाकुर ने फिटनेस पर ध्यान दिया और इस समस्या का हल निकाला। इसके बाद उनका चयन आईपीएल में हुआ और फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए दरवाजा खुला। 
 
वाशिंगटन सुंदर
 
अपने पहले टेस्ट में 4 विकेट और 84 रन बनाने वाले वाशिंगटन सुंदर का सफर भी आसान नहीं रहा। वह बचपन में सिर्फ एक कान से सुन पाते थे। उनके पिताजी ने कई जगह उनका इलाज कराया लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। इस कमी को उन्होंने अपने क्रिकेट खेलने के सपने में बाधक नहीं बनने दिया। आज वह एक कामयाब क्रिकेटर है और हर फॉर्मेट में अपनी जगह बना रहे हैं।
 
मोहम्मद सिराज 
 
मोहम्मद गौस एक ऑटो चालक थे जिन्होंने बेहद संघर्ष करके अपने बेटे सिराज को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। सिराज के पिता ने उनपर बहुत मेहनत की है। वे ऑटो चलाते थे लेकिन उन्होंने कभी भी परिवार की आर्थिक स्थिति का सिराज पर या उनके बड़े भाई पर असर नहीं पड़ने दिया। गेंदबाजी की एक स्पाइक की कीमत बहुत होती है और वो सिराज के लिए सबसे अच्छी स्पाइक लाकर देते थे। रणजी ट्रॉफी में कमाल दिखाने के बाद सिराज का आईपीएल में चयन हुआ और अब वह टेस्ट टीम का हिस्सा हैं। (वेबदुनिया डेस्क)

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