नागपुर टेस्ट शुरू होने के पहले से ही ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को सपने में भी घूमती हुई गेंदें नजर आने लगी थी जिससे वे बहुत ज्यादा भयभीत हो गए। भारतीय दौरा शुरू होने के पहले ही पिच और स्पिन गेंदबाजों का हौव्वा ऑस्ट्रेलियाइयों के सिर पर छा गया। तीन सीरिज भारतीय टीम से गंवाने के कारण विश्व की जानी-मानी टीम का आत्मविश्वास डांवाडोल है और वे बुरे तरह घबराए हुए हैं। लड़ने के पहले ही मानो उन्होंने हथियार डाल दिए और पिच की आड़ में छिपने की कोशिश कर हार को लेकर बहाने बनाने शुरू कर दिए।
नागपुर टेस्ट मैच में टॉस जीतने के बाद जिस तरह से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने भारतीय टीम के आगे घुटने टेके उससे साफ झलक रहा है कि टीम मानसिक रूप से फिलहाल लड़ने के लिए तैयार नहीं है। बहुत ही ज्यादा या कहें कि अतिरिक्त सावधानी टीम ऑस्ट्रेलिया ने बरती। ऐसा लगा कि वे उबड़-खाबड़ पिच पर खेल रहे हैं। यही अतिरिक्त सावधानी उन पर भारी पड़ गई। उन्हें घबराया देख भारतीय गेंदबाज उन पर चढ़ बैठे और 177 रन बना कर ऑस्ट्रेलिया टीम तंबू में जाकर बैठ गई।
वॉर्नर और ख्वाजा तो स्पिनर्स के आने के पहले ही पैवेलियन में आराम फरमाने लगे। लाबुशाने ने थोड़ा किला लड़ाया। 49 रन उन्होंने बनाए और उनकी बल्लेबाजी को देख भारतीय गेंदबाजों को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि सीरिज पूरी पड़ी हुई है और वे भारी पड़ सकते हैं। स्मिथ भी ज्यादा टिक नहीं पाए और 37 रन बना कर चल दिए।
रवीन्द्र जडेजा और आर अश्विन ने ऑस्ट्रेलियाई विकेटों पर हाथ साफ कर लिए। मात्र 63.5 ओवर में ऑस्ट्रेलिया टीम ढेर हो गई। ऑस्ट्रेलियाई बैटर ने जिस तरह से खेल दिखाया उससे साफ झलका कि उनमें आत्मविश्वास की कमी थी, घबराए हुए थे और छांछ भी फूंक-फूंक कर पी रहे थे। जरूरत से ज्यादा दबाव ओढ़ लिया और उनकी पारी भरभरा कर ढह गई।
मैच टीम इंडिया की मुठ्ठी में है। जरूरत है पहली पारी में ढेर सारे रन बनाने की ताकि चौथी पारी में कम से कम रन बनाने पड़े। ऑस्ट्रेलिया पर लीड का इतना पहाड़ खड़ा कर दो कि टीम इंडिया को दूसरी पारी खेलना ही नहीं पड़े। और हां, इसी तरह से ऑस्ट्रेलिया पर दबाव भी बना कर रखना चाहिए क्योंकि अभी जीत के दरवाजे ऑस्ट्रेलिया के लिए बंद है, लेकिन इनको पैर रखने भी मिली तो ये दरवाजा खोल लेते हैं।