भारतीय टीम ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया को चार मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-1 से हराकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर अपना कब्जा बरकरार रखा था। टीम इंडिया ने पहली बार गाबा मैदान में कोई टेस्ट जीत हासिल की थी जबकि ऑस्ट्रेलिया को 32 वर्षों में गाबा में किसी टीम के खिलाफ टेस्ट मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था।
लक्ष्मण ने स्पोर्ट्स टूडे से कहा, “जब ऋषभ पंत ने मैच विजयी चौका लगाया तो मैं काफी भावुक हो गया। मैं चौथे टेस्ट के अंतिम दिन का मैच अपने परिवार के साथ देख रहा था। जब पंत और वाशिंगटन सुंदर बल्लेबाजी कर रहे थे तो मुझे काफी चिंता हो रही थी क्योंकि जब आप खुद नहीं खेल रहे होते हैं तो आप खुद को नियंत्रित नहीं रख सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं चाहता था कि भारत ऑस्ट्रेलिया को हराकर सीरीज जीते। विशेषकर एडिलेड में जो हुआ और गाबा टेस्ट से पहले लोग कह रहे थे कि भारतीय खिलाड़ी ब्रिस्बेन जाने से डर रहे हैं जहां ऑस्ट्रेलिया लंबे समय से कोई मैच नहीं हारा है। ऐसे में यह जीत काफी महत्वपूर्ण थी।”
पूर्व बल्लेबाज ने कहा, “मैं दो बार रोया हूं। पहले जब 2011 में भारत ने विश्वकप जीता क्योंकि मैं हमेशा से विश्वकप विजेता टीम का सदस्य होना चाहता था। 2011 विश्वकप विजेता टीम के कई खिलाड़ियों के साथ मैं लंबे समय तक खेला था और उन्होंने हमारे विश्वकप जीतने के सपने को साकार किया।”
लक्ष्मण ने कहा, “मैं हमेशा ऑस्ट्रेलिया को उनके घर में मात देना चाहता था। लेकिन अपने क्रिकेट करियर में मैं ऐसा नहीं कर सका। मुझे गर्व है कि हमारे युवा खिलाड़ियों ने ऐसा करके दिखाया। जब टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया तो मेरे आंख से आंसू आ गए थे। ना सिर्फ क्रिकेट बल्कि पूरे देश के लिए यह उपलब्धि कितनी प्रेरणा देने वाली है इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।”(वार्ता)