जब पिता को खोने के दुख में डूबे होने के बावजूद बल्लेबाजी को उतरे थे 17 वर्ष के कोहली
शुक्रवार, 4 मार्च 2022 (16:00 IST)
नई दिल्ली:आज विराट कोहली मोहाली में श्रीलंका के खिलाफ अपना 100वां टेस्ट खेल रहे हैं। सचिन से लेकर कुंबले तक भारतीय क्रिकेटर्स ने उनको बधाई दी है। बीसीसीआई ने सम्मानित किया है और विश्व क्रिकेट की निगाहें उनकी तरफ लगी हुई है लेकिन उनके जीवन में एक वाक्या ऐसा भी हुआ जब बेहद दुख में उन्होंने बल्लेबाजी की थी।
कर्नाटक के खिलाफ 2006 में दिल्ली के रणजी ट्रॉफी मैच के तीसरे दिन जब पुनीत बिष्ट ड्रेसिंग रूम में पहुंचे तो कमरे में सन्नाटा पसरा था और एक कोने में 17 वर्ष का विराट कोहली बैठा था जिसकी आंखें रोने से लाल थी।बिष्ट यह देखकर सकते में आ गए लेकिन उन्हें अहसास हो गया कि इस लड़के के भीतर कोई तूफान उमड़ रहा है।
कोहली के पिता प्रेम का कुछ घंटे पहले ही ब्रेन स्ट्रोक के कारण निधन हुआ था। कोहली और बिष्ट अविजित बल्लेबाज थे लेकिन कोहली पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था।
कोच को भी यकीन नहीं हुआ कोहली में इतनी हिम्मत कैसे आई
एक समय दिल्ली के विकेटकीपर रहे बिष्ट अब मेघालय के लिये खेलते हैं। उन्होंने उस घटना को याद करते हुए कहा ,आज तक मैं सोचता हूं कि उसके भीतर ऐसे समय में मैदान पर उतरने की हिम्मत कहां से आई । हम सब स्तब्ध थे और वह बल्लेबाजी के लिये तैयार हो रहा था।
उन्होंने कोहली के सौवें टेस्ट से पहले उस घटना को याद करते हुए कहा , उसके पिता का अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ था और वह इसलिये आ गया कि वह नहीं चाहता था कि टीम को एक बल्लेबाज की कमी खले क्योंकि मैच में दिल्ली की हालत खराब थी।
घर लौटने की दी थी सलाह
सोलह साल पहले की वह घटना आज भी बिष्ट को याद है और यह भी कि कप्तान मिथुन मन्हास और तत्कालीन कोच चेतन चौहान ने विराट को घर लौटने की सलाह दी थी।उन्होंने कहा , उस समय चेतन सर हमारे कोच थे। चेतन सर और मिथुन भाई दोनों ने विराट को घर लौटने को कहा था क्योंकि उन्हें लगा कि इतनी कम उम्र में उसके लिये इस सदमे को झेलना आसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा , टीम में सभी की यही राय थी कि उसे अपने घर परिवार के पास लौट जाना चाहिय। लेकिन विराट कोहली अलग मिट्टी के बने हैं।
बिष्ट ने करीब एक दशक तक दिल्ली के लिये खेलने के बाद 96 प्रथम श्रेणी मैचों में 4378 रन बनाये हैं। इसके बावजूद युवा विराट कोहली के साथ 152 रन की वह साझेदारी उन्हें सबसे यादगार लगती है। बिष्ट ने उस मैच में 156 और कोहली ने 90 रन बनाये थे।
उन्होंने कहा , विराट ने अपने दुख को भुलाकर जबर्दस्त दृढता दिखाई थी। उसने कुछ शानदार शॉट्स खेले और मैदान पर हमारी बहुत कम बातचीत हुई। वह आकर इतना ही कहता था कि लंबा खेलना है, आउट नहीं होना है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूं । मेरा दिल कहता था कि उसके सिर पर हाथ रखकर उसे तसल्ली दूं लेकिन दिमाग कहता था कि नहीं , हमें टीम को जिताने पर फोकस करना है ।
बिष्ट ने कहा , इतने साल बाद भी विराट उसी 17 साल के लड़के जैसा है। उसमें कोई बदलाव नहीं आया।
बंगाल के विकेटकीपर श्रीवत्स गोस्वामी ने भी भारत के लिये अंडर 19 क्रिकेट खेलने के दिनों को याद करते हुए कहा , हम बंगाल से थे और विराट दिल्ली से। उसकी ऊर्जा और आक्रामकता गजब की थी। उसके साथ रहते हुए कोई भी पल उबाऊ नहीं होता था।