मिसाल कायम नहीं कर सके धोनी

सोमवार, 24 जनवरी 2011 (12:16 IST)
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रविवार को टीम इंडिया करोडों देशवासियों को 'सुपर संडे' का तोहफा देने से वंचित रह गई। दक्षिण अफ्रीका ने पाँचवें वनडे मैच को 33 रनों की जीत के साथ ही सिरीज पर कब्जा जमाया। यूसुफ पठान (105 रन) के अलावा समूची बल्लेबाजी फ्लॉप रही। कप्तान धोनी रटा- रटाया बयान देते हुए कहा कि बल्लेबाजों ने निराश किया। आखिरी के दोनों मैचों में धोनी ने हार का ठीकरा बल्लेबाजी के सिर फोड़ा है।

टॉप ऑर्डर के निराशजनक प्रदर्शन के बाद जब कप्तान खुद ही फ्लॉप हो रहा हो तो वह कैसे दूसरों पर हार का बोझ डाल सकता है? यदि यूसुफ पठान 8 चौकों और 8 छक्कों की पारी नहीं खेलते तो हार और अधिक शर्मनाक हो सकती थी।

धोनी ने पाँच मैचों में अपने खाते में कुल 75 रन बनाए। पहले वनडे में 25, दूसरे में 38, तीसरे में 5, चौथे में 2 और पाँचवे वनडे में उनके बल्ले से केवल 5 रन निकले। बजाय हार की जिम्मेदारी वहन करने के वे यह जताने का प्रयास करते रहे कि दूसरे बल्लेबाज चले नहीं।

रविवार को खेले गए पाँचवे वनडे में भारत ने 100 रन के भीतर 7 विकेट खो दिए थे। जहाँ पर तेजी से रन बनाने की दरकार थी, वहाँ रन बनना तो दूर विकेट का ऐसा पतझड़ चल रहा था, जो इसके पहले कभी देखने को नहीं मिला। अफ्रीका के तेज विकेट कभी भारत को रास नहीं आए और यही कारण रहा कि विराट कोहली और यूसुफ पठान (2 मैचों में चले) ही कुछ प्रतिकार कर पाए।

पूरी सिरीज में जहाँ ग्रीम स्मिथ ने जिम्मेदारी भरी कप्तानी की, वहीं दूसरी तरफ धोनी कोई मिसाल कायम नहीं कर पाए। यहाँ तक कि अंतिम वनडे में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला भी उनका गलत ही साबित हुआ।

मुनाफ पटेल ने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा 11 विकेट लिए और टॉप गेंदबाजों की लिस्ट में तीसरे नंबर थे। पहले पर सोतबोते (13) और दूसरे नंबर पर अफ्रीका के ही मोर्न मोर्कल थे।

पूरी वनडे सिरीज में युवराज सिंह ने 5 और हरभजन ने 4 विकेट लिए। वैसे भी अफ्रीकी विकेटों पर स्पिनरों का जादू नहीं चलता है, लिहाजा उन्हें दोष देने से कोई फायदा नहीं। तेज गेंदबाजों में जहीर खान और आशीष नेहरा का प्रदर्शन औसत रहा। (वेबदुनिया न्यूज)

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