युवराज के मोबाइल में 'गॉड'...

जब से भारतीय क्रिकेट के 'युवराज' मैदान पर वापस लौटे हैं, सुर्खियों में बने हुए हैं। युवराज सिंह के साथ देश के करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों की सहानुभूति इसलिए भी रहना लाजमी है क्योंकि इस क्रिकेटर ने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को हराकर उन तमाम लोगों के सामने नई मिसाल कायम की है, जो कैंसर से जूझकर जिंदगी से हार मान बैठे हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ राजकोट में गुरुवार को विनर पारी खेलकर 'मैन ऑफ द मैच' बने युवराज की जुबां पर अपने प्रदर्शन से कहीं ज्यादा सचिन तेंदुलकर की बातें हैं। युवराज जैसे खिलाड़ी भी सचिन को ‍अपना भगवान मानें तो समझा जा सकता है कि मास्टर ब्लास्टर का कद कितना ऊंचा है...
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युवराज सिंह सिर्फ अपनी जुबान से सचिन को क्रिकेट का भगवान नहीं मानते बल्कि दिल से वे इसे स्वीकार करते हैं और यहां तक कि अपने मोबाइल में सचिन के नंबर को उन्होंने 'गॉड' के नाम से सेव कर रखा है। पूरा देश जानता है कि सचिन और युवराज में किस तरह की गहरी दोस्ती है और जब भी युवराज को सचिन फोन करते हैं तो युवी के मोबाइल पर गॉड चमकने लगता है।

विश्वकप 2011 में जब भारत मुंबई में चैम्पियन बना था और युवराज सिंह को विश्वकप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार मिला था, तब इस खुशी का इजहार सबसे ज्यादा सचिन ने किया था। वे इतने खुश थे, मानो युवी नहीं वे खुद विश्वकप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने हैं।

युवराज भी मानते रहे हैं कि यदि वे विश्वकप के दौरान टूर्नामेंट के बेस्ट खिलाड़ी घोषित हुए हैं तो इसमें सचिन का बहुत योगदान रहा है। चूंकि सचिन उनसे सीनियर रहे हैं लिहाजा कई मौकों पर उन्होंने युवराज को अपनी उपयोगी सलाह दी। यही कारण है कि युवराज भारतीय क्रिकेट के 'युवराज' बन गए।

युवराज सिंह ने अपने वनडे करियर में 282 मैच खेले और इतने सालों में सचिन तेंडुलकर के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया। सचिन और युवराज की दोस्ती हमेशा चर्चा में रही है। यही कारण है कि युवराज जब अमेरिका में कैंसर का इलाज करवा रहे थे, तब खुद सचिन उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंचे थे और उनका हौसला बढ़ाया था।

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Bhika Sharma
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युवराज सिंह जहां राजकोट में पहले टी20 में 35 गेंदों में नाबाद 77 रनों की विजयी पारी खेलने और भारत की ऑस्ट्रेलिया पर 6 विकेट से शानदार जीत के बाद खुश थे, वहीं दूसरी तरफ उन्हें इस बाद से सबसे ज्यादा दु:ख था कि उनका भगवान टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने जा रहा है। 200वां टेस्ट मैच सचिन के टेस्ट करियर का आखिरी टेस्ट मैच होगा, जो मुंबई में खेला जाना तय माना जा रहा है, उसे मैं देखने जरूर जाऊंगा।

उन्होंने कहा कि यह उन पर निर्भर करता है कि वे कब संन्यास लेना चाहते हैं। उनके कद के खिलाड़ी को यह मौका मिलना चाहिए। मैं चाहता था कि वे दस साल और खेलें। यह उनका फैसला है और हमें उसका सम्मान करना चाहिए। तेंदुलकर के बारे में युवराज ने कहा कि वे काफी विनम्र हैं और कभी अपनी महानता जताते नहीं। वे हमेशा युवाओं से बात करते हैं जो उनके पास जाने में हिचकिचाते हैं। मुझे मैदान के भीतर और बाहर हमेशा उनका मार्गदर्शन मिला खासकर विश्वकप में। उनके साथ खेलना खास था, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मैं उन्हें रिटायर होते नहीं देख सकता।

युवराज ने कहा कि किसी के लिए भी सचिन की जगह टीम में लेना असंभव होगा। उन्होंने कहा कि तकनीक की दृष्टि से मैंने उनके जैसा बल्लेबाज नहीं देखा। वे इतने चतुर हैं कि उन्हें पता होता है कि गेंदबाज कहां गेंद डालेगा। वे हमेशा एक या दो कदम आगे रहते हैं और यही वजह है कि इतने साल लगातार अच्छा खेल सके। वे भारत को ईश्वर का वरदान हैं।

युवराज के अनुसार किसी के लिए भी सचिन तेंदुलकर की जगह लेना और अगला तेंदुलकर बन पाना असंभव है। अपनी पारी के बारे में उन्होंने कहा कि यह खास थी क्योंकि मैं कई महीने बाद लौट रहा था। मैंने ऑफ सीजन में काफी मेहनत की और खेल के मानसिक पहलू पर काम किया। घरेलू सत्र में अच्छा प्रदर्शन किया और वजन भी घटाया। (वेबदुनिया/एजेंसी)

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