श्रीलंका का दौरा करने वाली भारतीय क्रिकेट टीम में युवराजसिंह को जगह नहीं दी गई, यह चर्चा का विषय बन गया है। युवराज एक विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें टेस्ट टीम में न रखकर चयनकर्ताओं ने साफ कर दिया है कि टीम में बने रहने के लिए बड़ा नाम नहीं, बल्कि अच्छा प्रदर्शन मायने रखता है।
श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सिरीज में इरफान पठान और युवराजसिंह को टीम से बाहर रखने का आधार पिछली दो टेस्ट सिरीज में उनका प्रदर्शन है। चयनकर्ताओं के इस फैसले को भारतीय क्रिकेट के हित से जोड़कर देखना चाहिए।
युवराजसिंह वनडे क्रिकेट और ट्वेंटी-20 में बहुत बड़ा नाम है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अभी उन्हें खुद को साबित करना है। बहस सिर्फ इस मुद्दे पर है कि युवराज को टेस्ट क्रिकेट में स्थापित होने के लिए मौके क्यों नहीं दिए गए?
युवराज ने अब तक 23 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। तीन शतक और इतने ही अर्द्धशतक के साथ युवराज का औसत 32.81 है। यह एक साधारण प्रदर्शन है, लेकिन युवराज जैसे बल्लेबाज से कुछ ज्यादा ही उम्मीद होती है, क्योंकि उनमें विश्वस्तरीय क्रिकेटर की सारी खूबियाँ मौजूद हैं।
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यह पहला मौका नहीं है जबकि युवराज को टेस्ट टीम में शामिल नहीं किया गया है, बल्कि ऐसा पहले भी हुआ है। युवी की हालत बहुत हद तक ऑस्ट्रेलिया के मैच जिताऊ बल्लेबाज माइकल बेवन की तरह है। बेवन ने वनडे क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के लिए कई बार विजेता खिलाड़ी की भूमिका निभाई। कितनी ही बार ऑस्ट्रेलियाई टीम को संकट से उबारकर मैच जिताया, उनके जैसा मैच फिनिशर दूसरा कोई नहीं हुआ।
बेवन लंबे समय तक वनडे क्रिकेट में दुनिया के सबसे ज्यादा औसत दर्ज करने वाले बल्लेबाज रहे। उनका करियर औसत 53 रन से अधिक रहा, लेकिन वनडे क्रिकेट में सफलता की गाथा लिखने वाले इस बल्लेबाज ने जब टेस्ट क्रिकेट में हाथ आजमाए तो उन्हें वह सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद की जा रही थी।
बेवन ने 18 टेस्ट मैचों के दौरान केवल 29.07 का औसत दर्ज किया। दुर्भाग्य से वे टेस्ट क्रिकेट में कोई शतक नहीं लगा पाए। टेस्ट क्रिकेट में मिली असफलता का असर उनके खेल पर हुआ और वनडे में एक समय 62 से ऊपर चल रहा उनका औसत 53 पर आ गया।
बहरहाल, यह तो बात हुई दुनिया के नंबर वन वनडे क्रिकेट फिनिशर बेवन की। युवराज कई मायनों में बेवन के समान हैं। मसलन युवी ने भी कई नाजुक मौकों पर भारत को जीत दिलाई है और वे भारतीय क्रिकेट के आदर्श फिनिशर माने जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि युवराज की टेस्ट क्रिकेट में वापसी नहीं हो सकती। वे स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ अपनी कमजोरी को दूर करके फिर से टेस्ट टीम में अपना दावा मजबूत कर सकते हैं।