दुनियाभर में अपनी बल्लेबाजी कौशल का डंका बजवाने वाले राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण तथा अँगुलियों के जादूगर हरभजनसिंह श्रीलंका में अब तक अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करने में असफल रहे हैं और इसकी भरपाई वे अगले महीने शुरू होने वाली तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में पूरी करना चाहेंगे।
भारतीय टीम जब 18 जुलाई को गाले में पहला टेस्ट मैच खेलने के लिए उतरेगी तो सभी की निगाहें उसके बल्लेबाजों पर टिकी रहेंगी, क्योंकि पिछले दौरे में उन्हें मुथैया मुरलीधरन और अजंता मेंडिस की बलखाती गेंदों को खेलने में काफी दिक्कत हुई थी। भारत की इस दौरे के लिए चुनी गई टीम में कप्तान महेंद्रसिंह धोनी सहित दस विशुद्ध बल्लेबाज शामिल हैं। इनमें सचिन तेंडुलकर, द्रविड़ और लक्ष्मण की त्रिमूर्ति भी है, जिन पर मध्यक्रम का दारोमदार रहेगा।
लेकिन द्रविड़ और लक्ष्मण का बल्ला श्रीलंकाई सरजमीं पर उनकी काबिलियत के अनुरूप नहीं चल पाया है और यही वजह है कि इन दोनों धुरंधर बल्लेबाजों ने पिछले एक महीने से ही इस दौरे की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
श्रीलंका में अब चार टेस्ट मैच में 35.85 की औसत से 251 रन बनाने वाले लक्ष्मण ने कहा कि मैं पिछले कुछ सप्ताहों से श्रीलंका दौरे के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूँ। मैं स्पिनरों की मददगार पिचों पर अच्छे स्पिनरों के सामने अभ्यास कर रहा हूँ, क्योंकि श्रीलंका के पास मेंडिस और मुरलीधरन जैसे विश्वस्तरीय स्पिनर हैं।
द्रविड़ और लक्ष्मण का यह संभवत: आखिरी श्रीलंका दौरा हो सकता है और ऐसे में दोनों के पास अपना रिकॉर्ड सुधारने का यह सुनहरा मौका होगा। लक्ष्मण को तो श्रीलंकाई सरजमीं पर पहले शतक की भी दरकार होगी।
भारत के अन्य बल्लेबाजों में तेंडुलकर ने श्रीलंका में नौ मैच में 63.75 की औसत से 765 रन, वीरेंद्र सहवाग ने तीन मैच में 68.80 की औसत से 344 रन और गौतम गंभीर ने भी तीन मैच में 51.66 की औसत से 310 रन बनाए हैं। लक्ष्मण की तरह गंभीर ने भी श्रीलंका में अब तक सैकड़ा नहीं ठोंका है।
कप्तान धोनी और टीम में वापसी करने वाले युवराजसिंह सहित भारत की 16 सदस्यीय टीम में से आठ खिलाड़ियों ने अब तक श्रीलंका में टेस्ट मैच नहीं खेले हैं। भारतीय टीम 2008 में जब श्रीलंका दौरे पर गई थी तो धोनी ने विश्राम ले लिया था और उनकी जगह दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल ने विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाली थी। इन दोनों को ही इस बार टीम में नहीं चुना गया है।
श्रीलंका की धीमी पिचों पर ऑफ स्पिनर हरभजनसिंह को गेंदबाजी में मुख्य जिम्मेदारी संभालनी होगी, लेकिन यदि पिछले दौरे के गाले टेस्ट को छोड़ दिया जाए तो अभी तक श्रीलंकाई धरती पर उनका प्रदर्शन भी निराशाजनक ही रहा है।
यह भी संयोग है कि हरभजन श्रीलंका की तरह पाकिस्तान (दो मैच में कोई विकेट नहीं) में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं, जबकि इन दोनों देशों की तुलना में न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है, जहाँ की पिचों को स्पिनरों के अनुकूल नहीं माना जाता है।
भारत के अन्य गेंदबाजों में तेज गेंदबाजी के अगुआ जहीर खान ने श्रीलंका में छह टेस्ट मैच में 39.94 की औसत से 18 विकेट और ईशांत शर्मा ने तीन मैच में 35.50 की औसत से छह विकेट लिए हैं। ये दोनों ही इस दौरे में अपना प्रदर्शन सुधारने की कोशिश करेंगे। एस श्रीसंत, प्रज्ञान ओझा और अमित मिश्रा ने कभी श्रीलंका में टेस्ट मैच नहीं खेला है। (भाषा)