लोहे से चीजें मजबूत बनती हैं। यह कोई हैरानी की बात तो नहीं। लेकिन मानव शरीर को भी लोहा चाहिए। थोड़ा बहुत लोहे के इस्तेमाल से मानव शरीर बेहद मजबूत बनता है।
हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता।
यदि किसी को हमेशा थकावट महसूस होती हो, काम में मन नहीं लगता और शारीरिक क्षमता घट गई हो, ध्यान लगाना मुश्किल हो गया हो, सिर दर्द की शिकायत हो और नाखून टूटने लगे हों, त्वचा सूखी, फीकी और खुरदुरी हो गई हो, और बार बार संक्रामक बीमारियाँ हो रही हों तो बहुत संभव है कि उसे लोहे की कमी सता रही है। इन लक्षणों को देखते ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
जर्मनी में शरीर की अंदरूनी बीमारियों के एक्सपर्ट डॉक्टर बेर्नहार्ड ल्युइडेमान बताते हैं कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ लोहे के अभाव से अधिक पीड़ित होती हैं, 'इसकी सबसे बड़ी वजह महिलाओं का मासिक धर्म है। हर महीने खून के साथ लोहा भी निकलता है। इसके बाद उन्हें लोहे की जरूरत बढ़ जाती है। पुरुषों को हर दिन जहाँ 10 मिलिग्राम लोहा चाहिए, वहीं महिलाओं को कम से कम 15 मिलिग्राम और गर्भवती महिलाओं को तो 20 मिलिग्राम चाहिए।'
जर्मनी जैसे देशों में लगभग आधी महिलाओं के खून में लोहे की कमी है। लोहा खून में रहने वाले उस हीमोग्लोबीन के लिए बहुत जरूरी है, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर उसे शरीर की सारी कोषिकाओं तक पहुँचाता है। वैसे महिलाएँ ही नहीं तेज गति से शारीरिक विकास वाली अवस्था के दौरान बच्चे भी लोहे की कमी से पीड़ित हो सकते हैं।
शरीर में लोहे की कमी इस बात का भी संकेत हो सकती है कि शरीर के भीतर कहीं से खून बह रहा है। पेट या आंत में कैंसर अथवा छाले के कारण। इसलिए भी डॉक्टर के पास जाना और जाँच जरूरी है। लोहे की कमी को सही ढंग के भोजन से दूर किया जा सकता है।
डॉ. ल्युइडेमान कहते हैं, 'कलेजा या पालक खाने की अक्सर जो सलाहें दी जाती हैं, वे सही नहीं हैं। सूखी पालक में लोहे की काफी मात्रा होती जरूर है, पर उतने ही वजन वली हरी पालक में दरअसल काफी कम लोहा होता है। लीवर, यानी कलेजे में भी लोहे की अपेक्षाकृत अधिक मात्रा होती है, पर एक ऐसे रूप में कि शरीर उसे पचा नहीं सकता।'
हमारा शरीर खाने के हर प्रकार के लोहे को नहीं पचा सकता है। वह जिस लोहे को पचाता है, वह माँसाहारियों को जानवरों, पक्षियों और मछली की माँसपेशियों वाले माँस में और शाकाहारियों को दालों, अनाजों और सबिजयों से मिल सकता है।
शरीर में लोहे को पचा पाने की क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है। लोहे की कमी से पीड़ित भारत के बच्चों पर किए गए रिसर्च से पता चला कि भोजन के साथ या तुरंत बाद विटामिन सी वाला कोई फल खाने या ऐसे फल का रस पीने से भोजन में लोहा ग्रहण करने की क्षमता इतनी बढ़ जाती है कि लोहे की कमी खुद दूर हो जाती है।
इस रिसर्च में लोहे की कमी से पीड़ित बच्चों को 60 दिनों तक दोपहर और शाम के खाने के साथ 100 मिलिग्राम विटामिन सी दिया गया। 100 मिलीग्राम विटामिन सी संतरे के 200 मिलिलीटर ताजे रस या दो अदद लाल शिमला मिर्च खाने से भी मिल सकता है।
जर्मनी के डॉ. ल्युडरमान की एक और सलाह है, 'शाकाहारियों को चाहिए कि भोजन के बाद किसी भी हालत में चाय या कॉफी बिल्कुल नहीं पिए। चाय या कॉफी में पाया जाने वाला टैनीन पाचनतंत्र में लोहे के अवशोषण को रोकता है।'
इसी कारण से भोजन के साथ या तुरंत बाद कोका कोला नहीं पीना चाहिए। लोहे की कमी दूर करने के लिए गोली का सहारा केवल तब लेना चाहिए, जब डॉक्टर ने ऐसी सलाह दी हो। ध्यान रहे कि शरीर में लोहे की अधिकता उसकी कमी से भी अधिक खतरनाक है।