2023 अब तक का सबसे गर्म साल, फिर भी भविष्य में कहलाएगा 'कूल'

DW

गुरुवार, 7 दिसंबर 2023 (08:12 IST)
तापमान रिकॉर्ड करने की शुरुआत से लेकर अब तक के सालों में 2023 सबसे गर्म रहा है। लेकिन यही हाल रहा, तो भविष्य में हम 2023 को भी एक ठंडे साल में गिनेंगे।
 
तापमान से जुड़े अब तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 हमारी पृथ्वी का सबसे गर्म साल रहा। इस बरस हमारी पृथ्वी ने लगातार छह महीने तक गर्मी का नया कीर्तिमान बनाया। उत्तरी गोलार्ध में भी इस साल पतझड़ सबसे गर्म रहा। यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने 6 दिसंबर को यह जानकारी दी।
 
इससे पहले नवंबर में अमेरिका की जलवायु एजेंसी "नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फैरिक अडमिनिस्ट्रेशन" (एनओएए) ने कहा था कि इस बात की 99 फीसद संभावना है कि 2023,  1850 से अब तक का सबसे गर्म साल होगा। इससे पहले 2016 अब तक का सबसे गर्म साल था। लेकिन फिर तापमान ने कीर्तिमानों की शृंखला बनाई और 2023 को गर्मी के मामले में सबसे ऊपर पहुंचा दिया। यहां तक कि नवंबर भी बेहद गर्म रहा।
 
दुनिया में तापमान दर्ज करने की आधुनिक व्यवस्था 143 साल पहले, साल 1880 में शुरू हुई थी। ऐसा नहीं कि इससे पहले का डेटा मौजूद नहीं है, लेकिन वह उपलब्ध डेटा पूरी दुनिया के तापमान को सटीक तरीके से समझने और आंकने के लिए पर्याप्त नहीं है। 
 
वैज्ञानिकों के पास कम पड़ रहे हैं विशेषण
कॉपरनिकस की उप-निदेशक समांथा बर्जेस कहती हैं, "पिछला आधा साल बहुत हैरान करने वाला रहा।" बर्जेस बताती हैं, "2023 में लगातार छह महीने रिकॉर्डतोड़ गर्मी और दो रिकॉर्ड तोड़ने वाले मौसम हैं। नवंबर में असाधारण वैश्विक तापमान, जिनमें दो दिन ऐसे थे, जो औद्योगिकीकरण से पहले के मुकाबले 2 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म रहे। इसका मतलब है कि रिकॉर्ड किए गए इतिहास में 2023 सबसे गर्म साल रहा है।"
 
बर्जेस कहती हैं कि इस स्थिति की व्याख्या के लिए अब वैज्ञानिकों के पास विशेषण खत्म होने लगे हैं।
 
कितना गर्म था 2023?
कॉपरनिकस रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में औसत तापमान 14।22 सेल्सियस रहा। यह पिछले 30 साल के औसत से 0।85 सेल्सियस ज्यादा गर्म है। अगर पूरे साल को लें, तो औद्योगिक दौर शुरू होने से पहले के मुकाबले 2023 औसतन 1।46 सेल्सियस ज्यादा गर्म रहा। तापमान का यह स्तर 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में तय किए गए डेढ़ डिग्री सेल्सियस के अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य के बहुत करीब है। लेकिन इस सूरत में भी दुबई में चल रहे कॉप 28 सम्मेलन से किसी बड़े बदलाव का संकेत नहीं है।
 
संयुक्त अरब अमीरात की सरकारी तेल कंपनी के प्रमुख सुल्तान अल-जबह कॉप 28 की अध्यक्षता कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, नवंबर 2023 में उन्होंने एक वीडियो कॉल में कहा कि ऐसा कोई "साइंस" नहीं है, जो दर्शाता हो कि ग्लोबल वॉर्मिंग को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल धीरे-धीरे घटाना जरूरी है। यह बात उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की पूर्व विशेष प्रतिनिधि मैरी रॉबिन्सन से कही थी। यह जलवायु शोध के मसले पर बनी वैज्ञानिक सहमति के विपरीत है।
 
कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो ब्योनटेंपो कहते हैं, "जब तक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रहेगा, हम इस साल देखे गए नतीजों से अलग किसी और परिणाम की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।" ब्योनटेंपो बताते हैं, "तापमान बढ़ता रहेगा और गर्म हवा के थपेड़े और सूखे जैसी घटनाओं का असर भी बढ़ता रहेगा। जल्द से जल्द नेट-जीरो पर पहुंचना ही जलवायु संकट से निपटने का एक प्रभावी तरीका है।"
 
वहीं उप-निदेशक बर्जेस कहती हैं, "अगर हम जीवाश्म ईंधनों पर अपनी निर्भरता का उपाय नहीं निकालते, तो भविष्य में 2023 को एक ठंडे साल की तरह गिना जाएगा।"
एसएम/वीएस (डीपीए, एपी)

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