अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जारी यूएन की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में अब भी लगभग 90 फीसदी महिलाएं और पुरुष ऐसे हैं, जो महिलाओं के खिलाफ किसी न किसी तरह का पूर्वाग्रह रखते हैं।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने दुनिया की 80 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले 75 देशों का अध्ययन किया और पाया कि 10 में से 9 लोग महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखते हैं।
यूएनडीपी की अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट का नाम है- जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स और इसमें 75 देशों में आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। इन देशों में विश्व की लगभग 80 फीसदी आबादी रहती है। इन आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया है कि महिलाओं को समानता हासिल करने के मामले में बहुत-सी अदृश्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
रिपोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक जिन लोगों की राय शामिल की गई, उनमें से लगभग आधे लोगों का मानना था कि पुरुष श्रेष्ठ राजनीतिक नेता होते हैं जबकि 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का विचार था कि पुरुष बेहतर कारोबारी दिग्गज होते हैं इसलिए जब अर्थव्यवस्था धीमी हो तो उस तरह की नौकरियां पुरुषों को मिलनी चाहिए।
यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय के अध्यक्ष पैड्रो कॉन्सीकाओ का कहना है कि महिलाओं को भी पुरुषों की ही तरह बुनियादी जरूरतें पूरी करने वाली सुविधाओं तक पहुंच बनाने के लिए हम सभी ने हाल के दशकों में काफी प्रगति की है।
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि प्राइमरी स्कूलों में दाखिलों के मामलों में लड़कियों और लड़कों की संख्या में लगभग बराबरी हासिल कर ली गई है और 1990 के बाद से मातृत्व संबंधी बीमारियों से महिलाओं की मौतों में 45 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है।
मगर उन्होंने यह भी कहा कि लिंग असमानता अब भी अनेक क्षेत्रों में आम है, खासतौर से ऐसे क्षेत्रों में, जहां ताकत से जुड़े संबंधों को चुनौती मिलती हो। वास्तविक लिंग समानता हासिल करने के प्रयासों में ऐसे क्षेत्रों का निर्णायक प्रभाव है।
यूएनडीपी ने एक उदाहरण पेश किया है कि पुरुष और महिलाएं एक ही तरह से मतदान करते हैं, मगर विश्वभर में केवल 24 प्रतिशत संसदीय सीटों पर महिलाएं चुनी गई हैं। साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि दुनियाभर में 193 देशों में से सिर्फ 10 देशों में सरकारों की अध्यक्ष महिलाएं हैं।
इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वभर में एक जैसा ही काम करने के लिए महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है और महिलाओं को वरिष्ठ पदों पर पहुंचने के कम अवसर मिलते हैं।
यूएनडीपी ने सभी सरकारों और संस्थानों से आग्रह किया है कि वे महिलाओं के लिए भेदभावपूर्ण मान्यताओं और परंपराओं को बदलने के लिए नई नीतियों का लाभ उठाएं और इसके लिए शिक्षा व जागरूकता का स्तर बढ़ाने का सहारा लिया जाए।