समझौते की घोषणा करते हुए फेसबुक और भारतीय कंपनी क्लीनमैक्स ने बताया कि यह फेसबुक का भारत में इस तरह का पहला समझौता है। हवा से बिजली बनाने की 32 मेगावॉट की यह परियोजना कर्नाटक में स्थित है। समझौते के तहत दोनों कंपनियां इस परियोजना के अलावा और भी हवा और सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर काम कर रही हैं जिनसे बनने वाली बिजली भारत की राष्ट्रीय बिजली ग्रिड को दे दी जाएगी।
फेसबुक में अक्षय ऊर्जा की प्रमुख उर्वी पारिख ने बताया कि उनकी कंपनी के पास इस तरह के बिजली संयंत्रों का मालिकाना हक नहीं होता है, बल्कि ऊर्जा कंपनियों के साथ लंबी अवधि तक खरीदने के समझौते होते हैं। उन्होंने कहा कि इससे परियोजना को वो वित्त पोषण ढूंढने का मौका मिलता है जिसकी उसे जरूरत है।' पारिख ने यह भी बताया कि फेसबुक ने सिंगापुर में भी बिजली कंपनियों के साथ इस तरह की साझेदारी ऐसी परियोजनाओं पर की है जो 160 मेगावॉट तक सौर ऊर्जा बना सकती हैं।
इन संयंत्रों से जो ऊर्जा पैदा होगी उसका इस्तेमाल फेसबुक एशिया में बनने वाले उसके पहले डाटा केंद्र को चलाने के लिए करेगी। कंपनी ने पहले कहा था कि यह केंद्र अगले साल तक शुरू हो जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईए) ने पिछले साल बताया था कि फेसबुक जैसी तकनीकी कंपनियों के ये डाटा केंद्र दुनिया की कुल ऊर्जा के एक प्रतिशत हिस्से तक की खपत कर जाते हैं।
डाटा और डिजिटल सेवाओं की मांग लगातार बढ़ने की ही उम्मीद है। ऐसे में अमेजॉन, अल्फाबेट आईएनसी और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने कार्बन मुक्त संचालन करने का और उत्सर्जन को शून्य करने का संकल्प लिया है। फेसबुक ने तो घोषणा भी कर दी है कि 2020 में उसने दुनिया भर में फैले अपने व्यवसाय को पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा से चलाने का और उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य पूरा कर लिया है।