नये शोध से पता चला है कि कि वायु प्रदूषण के कारण दिमाग को भी खतरा हो सकता है। ब्रिटेन के लैंकेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण के कारण दिमाग को भी खतरा हो सकता है। शोध में वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य को होने वाले नए जोखिमों के बारे में बताया गया है।
अभी तक वायु प्रदूषण के कारण दिल और सांस की बीमारी के बारे में पता था लेकिन नये शोध ने इससे होने वाली अन्य समस्याओं की ओर भी ध्यान दिलाया किया है। लैंकेस्टर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और शोधकर्ता दल की सदस्य प्रोफेसर बारबरा माहेर ने कहा, 'हमें दिमाग के नमूने में वायु प्रदूषकों के लाखों कण मिले। एक मिलीग्राम दिमाग के ऊतक में लाखों मैगनेटिक प्रदूषक कण मिले हैं जिससे दिमाग को खतरा हो सकता है। इससे दिमाग के क्षतिग्रस्त होने की प्रबल संभावना है।'
नए शोध के अनुसार इंसानी दिमाग में पाये गये ज्यादातर मैग्नेटाइट, जो चुंबकीय आयरन ऑक्साइड का कंपाउंड होता है, औद्योगिक वायु प्रदूषण की देन हैं। चूंकि अल्जाइमर के मरीजों में भी मैग्नेटाइट का बहुत अधिक संकेंद्रन पाया गया है, इस शोध ने नए पर्यावरण जोखिमों के खतरे को सामने ला दिया है।
प्रोफेसर माहेर के अनुसार सांस के माध्यम से शरीर में पहुंचने वाले प्रदूषण के कणों का बड़ा भाग तो श्वास की नली में जाता है लेकिन इसका एक छोटा हिस्सा स्नायु तंत्र से होते हुए दिमाग में भी पहुंचता है। उन्होंने कहा कि शोध के दौरान पता चला कि मैग्नेटिक प्रदूषक कण दिमाग में पहुंचने वाली आवाजों और संकेतों को रोक सकते हैं, जिससे अल्जाइमर जैसी बीमारी हो सकती है। हालांकि अल्जाइमर के साथ इसके जुड़े होने की पुष्टि अभी पूरी तरह से नहीं हुई है।