बच्चों को सीमा पर बंदी बनाता अमेरिका

सोमवार, 18 जून 2018 (11:17 IST)
सांकेतिक चित्र

मेक्सिको और अमेरिका का सीमा विवाद किसी से छुपा नहीं हैं। अमेरिका ने मेक्सिको से आने वाले अवैध आप्रवासियों पर जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाई हुई है। इसी के चलते अब सीमा पर मेक्सिको से आए बच्चों को भी बंदी बनाया जा रहा है।
 
 
अमेरिका दुनिया का एक ऐसा शक्तिशाली मुल्क है जो कई मामलों में मानवाधिकारों का पैरोकार भी नजर आता है। लेकिन जब बात मेक्सिको की आती है, तो अमेरिका अपना कड़ा रुख दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता। यही कारण है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अवैध अप्रवासियों को लेकर "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपनाई हुई है। इस नीति का सबसे ज्यादा असर मेक्सिको से आने वाले आप्रवासियों पर पड़ रहा है।
 
इस के तहत अमेरिका में गैरकानूनी रूप से प्रवेश करने वाले आप्रवासियों पर न सिर्फ कानूनी कार्रवाई होती है, बल्कि साथ आए बच्चों को भी उनसे अलग कर दिया जाता है। आप्रवासियों के इन बच्चों को अपने मां-बाप से अलग कर कस्टडी सेंटर या खास केंद्रों में रखा जा रहा है। बच्चों को रखने वाला ऐसा ही एक शेल्टर है कासा पेडरे।
 
कासा पेडरे, अमेरिका-मेक्सिको सीमा के पास बनी एक इमारत है। यह इमारत पहले कारोबारी कंपनी वॉलमार्ट के पास थी। लेकिन आज यह संघीय हिरासत में रह रहे 1400 अप्रवासी बच्चों का घर है। इन बच्चों में से कई टीनएजर्स हैं जो अकेले ही अमेरिका में घुसे थे। कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें सीमा पर मां-बाप से अलग कर जबरन यहां रहने के लिए भेजा गया।
 
जीरो टॉलरेंस नीति के लागू होने के बाद पत्रकारों को पहली बार इस शेल्टर में जाने की इजाजत दी गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बिल्डिंग में क्षमता से ज्यादा बच्चों को रखा जा रहा है। इस शेल्टर का दौरा कर लौटे पत्रकार जेकब सोबोरॉफ कहते हैं, "इन बच्चों को कैद किया गया है।" पत्रकारों के मुताबिक, यहां रह रहे बच्चों को रोजाना सिर्फ दो घंटे के लिए बाहर जाने की अनुमति मिलती है।
 
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस शेल्टर में एक मैकडॉनल्ड और एक कैफेटेरिया है जहां चिकन, सब्जियां और फल मिलते हैं। इसके अलावा बच्चे यहां ऐनिमेटिड फिल्में देखते हैं और यहां के गैराज में कुछ बच्चे बास्केटबॉल भी खेलते हैं।
 
लेकिन अब अमेरिका की दक्षिणी सीमा से देश में प्रवेश करने वाले परिवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके चलते इन शेल्टर्स की स्थिति भी बिगड़ने लगी है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स सरकार के इस फैसले का बचाव करते हुए कहती हैं, "अमेरिका सिर्फ मौजूदा नियमों का पालन कर रहा है।"
 
कासा पेडरा, अमेरिका में चल रहे ऐसे 27 केंद्रों में से सबसे बड़ा है। इसे चलाने वाली गैरलाभकारी संस्था साल 1998 से सरकार के साथ मिलकर ऐसे केंद्र चला रही है। इस सरकारी कार्यक्रम में शामिल मार्टिन हिंनोजोसा कहते हैं, "कासा पेडरा में रहने वाले कुल बच्चों में से सिर्फ 5 फीसदी बच्चे ही ऐसे हैं, जिन्हें जबरन उनके मां-बाप से अमेरिका में घुसते वक्त अलग किया गया था।"
 
वॉशिंगटन पोस्ट से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर सभी केंद्रों में रहने वाले कुल बच्चों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो समझ आएगा कि ऐसे करीब 10 फीसदी बच्चे ही हैं। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक देशभर में ऐसे शेल्टर्स में रहने वाले कुल बच्चों की संख्या करीब 5129 है। इनमें से करीब 500 बच्चों को जबरन मां-बाप से अलग किया गया है।
 
हाल में जीरो टॉलरेंस नीति पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था, "यह डेमोक्रेट्स द्वारा दिए गए खराब कानूनों का नतीजा है। परिवारों को तोड़ना एक भयंकर बात है।" आलोचक कहते हैं कि आप्रवासियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कोई नई बात नहीं है। लेकिन आज तक कानूनों को इस तरह से लागू नहीं किया गया। साथ ही कोई भी कानून परिवारों को अलग करने की वकालत नहीं करता। 
 
कैथोलिक चर्च ने भी बच्चों को मां-बाप से अलग करने की नीति को अनैतिक करार दिया है। वहीं सारा सैंडर्स ने पत्रकारों के साथ एक तीखी बातचीत में कहा, "किताबों में ऐसे कानून सालों से लिखे हुए हैं, राष्ट्रपति उन्हें बस लागू कर रहे हैं।" लेकिन आप्रवासियों के मुद्दों को लेकर काम करने वाली संस्थाएं बच्चों के इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रहीं हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय इस नीति को मानवाधिकार सिद्धांतो के खिलाफ बता रहा है।
 
एए/आईबी (डीपीए)

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