चीन राफेल को बदनाम कर रहा हैः फ्रेंच खुफिया एजेंसी

DW

सोमवार, 7 जुलाई 2025 (09:13 IST)
-निखिल रंजन एपी
 
फ्रांस के सैन्य अधिकारियों और खुफिया एजेंसी का कहना है कि चीन अपने दूतावासों के जरिए राफेल विमानों के बारे में शंका फैला रहा है। भारत पाकिस्तान के संघर्ष के बाद दुष्प्रचार का अभियान चलाने के आरोप लगाए गए हैं। फ्रेंच अधिकारियों ने चीन पर राफेल की छवि और बिक्री पर असर डालने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। मई में भारत पाकिस्तान के संघर्ष में इन विमानों का भारत ने इस्तेमाल किया था। फ्रांस अपने इन विमानों को बेहद उन्नत बताता है।
 
फ्रांस की खुफिया एजेंसी की तैयार एक रिपोर्ट की कॉपी समाचार एजेंसी एपी ने देखी है। इस रिपोर्ट में चीन के दूतावासों में डिफेंस अटैचियों को राफेल की बिक्री को घटाने के लिए काम करने को कहा गया है। खासतौर से उन देशों को यह समझाने की कोशिश की जा रही है जिन्होंने राफेल को खरीदने के ऑर्डर पहले से दे रखे हैं।
 
इनमें एक प्रमुख नाम इंडोनेशिया का है। रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों को समझाया जा रहा है कि वे और राफेल ना खरीदें और चीन में बने विमानों का विकल्प चुनें। खुफिया एजेंसियों की ये रिपोर्ट फ्रांस के एक सैन्य अधिकारी ने एपी को इस शर्त पर दी कि उसका नाम सामने नहीं आएगा।
 
भारत पाकिस्तान संघर्ष में फ्रांस और चीन के विमान
 
मई में भारत पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष बीते कई सालों में सबसे गंभीर था। इसमें दोनों तरफ के दर्जनों विमानों ने एक दूसरे के इलाके में हवाई हमले किए। सैन्य अधिकारी और रिसर्चर इस संघर्ष के बाद से ही यह पता लगाने में जुटे हैं कि पाकिस्तान के चीन में बने सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन भारत के सैन्य उपकरणों के आगे कैसा था। खासतौर से फ्रांस में बने राफेल लड़ाकू विमान। भारत ने पहली बार इन विमानों का इस संघर्ष में इस्तेमाल किया था।
 
राफेल और दूसरे हथियार फ्रांस की रक्षा उद्योग का बड़ा कारोबार है। यह फ्रांस सरकार को दूसरे देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने में भी काफी मदद करता है। खासतौर से एशिया में जहां चीन एक क्षेत्रीय ताकत बनने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। फ्रांस ने चीन के इस कथित गलत सूचना फैलाने के अभियान से लड़ रहा है।
 
पाकिस्तान का दावा है कि उसने लड़ाई में भारत के पांच विमानों को मार गिराया जिसमें तीन राफेल विमान भी शामिल थे। फ्रांस के अधिकारियों के मुताबिक इसके तुरंत बाद उन देशों में दासों के बनाए इन विमानों के प्रदर्शन के बारे में सवाल उठे हैं जिन्होंने ये विमान खरीदे हैं। लड़ाई में राफेल के गिरने की यह पहली घटना है। फ्रांस ने 8 देशों को ये विमान बेचे हैं।
 
भारत ने विमानों के गिरने की बात मानी है लेकिन यह नहीं बताया कि कितने विमान गिरे। फ्रांस की वायु सेना के प्रमुख जनरल जेरोम बेलांगर का कहना है कि उन्होंने जो सबूत देखे हैं उनसे तीन विमानों के गिरने का पता चलता है। इनमें एक राफेल, एक सुखोई और एक मिराज 2000 विमान है। बेलांगर का कहना है, 'निश्चित रूप से जिन देशों ने राफेल खरीदे हैं, वो अपने आप से सवाल कर रहे हैं।'
 
फ्रांस के अधिकारी विमान की छवि धूमिल होने से बचाने के लिए प्रयासों में जुटे हैं। उनका आरोप है कि राफेल के बारे में बुराई करने का एक अभियान चल रहा है जिसमें पाकिस्तान और उसका सहयोगी चीन गलत जानकारियों का ऑनलाइन प्रसार करने में जुटे हैं।
 
सोशल मीडिया के इस्तेमाल का आरोप
 
फ्रेंच अधिकारियों का कहना है कि इस अभियान में सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट भी शामिल है जिसमें तस्वीरों से छेड़छाड़ करके राफेल का संभावित मलबा दिखाया जा रहा है, एआई से बनाए हुए कंटेंट और वीडियो गेम का भी सहारा लिया जा रहा है जिसमें संभावित युद्ध को सिम्युलेट किया जा रहा है।
 
ऑनलाइन गलत जानकारी के प्रसार के विशेषज्ञ फ्रेंच रिसर्चरों के मुताबिक भारत पाकिस्तान के संघर्ष छिड़ने के बाद 1,000 से ज्यादा सोशल मीडिया के नए अकाउंट बनाए गए हैं। इनके जरिए चीनी के तकनीकी दबदबे की बात का प्रचार किया जा रहा है। फ्रांस से सैन्य अधिकारियों का कहना है कि उन्हें राफेल के खिलाफ चल रहे ऑनलाइन दुष्प्रचार का चीन की सरकार से सीधा लिंक नहीं मिला है। खुफिया विश्लेषण से यह जरूर पता चला है कि चीनी अधिकारी संभावित खरीदारों को फ्रांस से विमान सौदे रद्द कराने के लिए खेमेबाजी कर रहे हैं।
 
फ्रांस की खुफिया एजेंसी का कहना है कि चीनी दूतावास के डिफेंस अटैचियों ने दूसरे देशों के रक्षा अधिकारियों के साथ बैठकों में इस तरह की बातें कही है। चीनी अधिकारी दलील दे रहे हैं कि भारतीय वायु सेना के राफेल का प्रदर्शन खराब रहा और और चीन में बने हथियार बढ़िया हैं।
 
खुफिया एजेंसी ने कहा है कि चीन के डिफेंस अटैचियों का ध्यान उन देशों पर है जिन्होंने या तो राफेल के लिए ऑर्डर दे दिए हैं या फिर इसे खरीदने पर विचार कर रहे हैं। फ्रेंच अधिकारियों को उन   बैठकों के बारे में पता चला है जिनमें देशों को अप्रोच किया गया है।
 
चीन ने किया आरोपों से इंकार
 
समाचार एजेंसी एपी ने जब इस बारे में चीन के रक्षा मंत्रालय से प्रतिक्रिया मांगी तो उनका कहना था, 'संबंधित दावे पूरी तरह बेबुनियाद अफवाह और लांछन हैं। चीन ने सैन्य निर्यात को लेकर लगातार एक सुदृढ़ और जिम्मेदार रवैया अपनाया है और एक रचनात्मक भूमिका क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए अपना रहा है।'
 
फ्रांस के रक्षामंत्री का कहना है कि राफेल को 'गलत सूचनाओं के एक विशाल अभियान' का  निशाना बनाया गया जिसमें वैकल्पिक उपकरणों की बड़ाई की जाती है खासतौर से चाईनीज डिजाइन की।' रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, 'राफेल को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि यह फ्रांस की रणनीतिक पेशकश का प्रतिनिधित्व करता है। विमान को निशाना बना कर कुछ लोग फ्रांस और उसके रक्षा उद्योग और तकनीकी आधार को निशाना बनाना चाहते हैं। गलत सूचनाओं का अभियान वास्तव में सिर्फ विमान को नहीं बल्कि देश की रणनीतिक स्वायत्तता, औद्योगिक भरोसे और सुदृढ़ साझेदारी की छवि को निशाना बना रहा है।'
 
दासो एविएशन ने अब तक 533 राफेल बेचे हैं। इनमें 323 का निर्यात मिस्र, भारत, कतर, ग्रीस, क्रोएशिया, संयुक्त अरब अमीरात, सर्बिया और इंडोनेशिया को किया गया है। इंडोनेशिया ने 42 विमानों के ऑर्डर दिए हैं और वह और विमान खरीदने पर विचार कर रहा है। लंदन के रक्षा थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ जस्टिन ब्रोक का कहना है कि  फ्रांस के उपकरणों के बारे में चिंता का प्रसार करके चीन शायद फ्रांस के एशियाई देशों से सुरक्षा संबंधों को कमजोर करने की उम्मीद कर रहा है।

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