जर्मनी में कामगारों की भारी कमी को देखते हुए जर्मन सरकार ने नियमों में एक और छूट की घोषणा की है। बीते कुछ समय से लगातार ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जिससे कामगारों का जर्मनी आना आसान हो। नौकरी के लिए जर्मनी आने के लिए पहले सिर्फ उन्हीं कामगारों को अनुमति मिलती थी जिनकी डिग्रियों की जर्मनी में मान्यता हो। 1 मार्च को जारी किए गए नए प्रावधानों में इसकी छूट दे दी गई है।
जर्मनी की शिक्षामंत्री बेटीना स्टार्क वात्सिंगर ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया, 'डिग्री और पेशेवर अनुभव वाले कुशल कामगार जर्मनी में मान्यता की प्रक्रिया को पूरा किए बगैर यहां आकर काम कर सकते हैं।' गृहमंत्री नैंसी फेजर और श्रम मंत्री हुबर्टस हाइल ने भी इस बदलाव को राष्ट्रीय श्रम बाजार के लिए महत्वपूर्ण बताया है। फेजर ने नए नियमों के लागू होने के बारे में कहा, 'हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था को आने वाले सालों में जिन कुशल कामगारों की जरूरत है, वो हमारे देश में आ सकें।'
जर्मनी में खुल रहे हैं रास्ते
भविष्य में जर्मनी में किसी तीसरे देश के नागरिक का आना भी संभव होगा। बशर्ते कि उसके पास दो साल काम का अनुभव और वोकेशनल या यूनिवर्सिटी की ऐसी डिग्री हो जिसकी मान्यता उसके मूल देश में हो। इसका मतलब है कि उनकी योग्यता का जर्मनी में मान्यता प्राप्त होना जरूरी नहीं है। इसका मकसद नौकरशाही को घटाना और प्रक्रिया को आसान बनाना है।
दूसरे क्षेत्रों में कुछ और बदलाव भी किए गए हैं। उदाहरण के लिए, देख-रेख करने वाले कामगारों की भारी कमी को देखते हुए भविष्य में योग्यता रखने वाले सहायक भी काम के लिए जर्मनी आ सकेंगे। गैर-ईयू देशों से आने वाले लोगों को पढ़ाई या फिर भाषा सीखने के लिए जर्मनी आने पर अपनी पेशेवर योग्यता की मान्यता के लिए ज्यादा समय दिया जाएगा।
विदेशी कामगारों पर बढ़ती निर्भरता
नियमों को आसान बनाने का पहला चरण नवंबर 2023 में शुरू हुआ। इसमें मुख्य रूप से रेजिडेंसी परमिट जिसे ईयू ब्लू कार्ड कहा जाता है, वह मिलना आसान किया गया। इसके साथ ही कुशल कामगार की मान्यता भी बदली गई। अब अगले, यानी तीसरे चरण में लोगों को नौकरी खोजने के लिए जॉब ऑपर्चुनिटी कार्ड दिए जाएंगे, जो इस साल जून में लागू होने के आसार हैं।
जर्मन अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर आप्रवासी मजदूरों पर निर्भर हैं। संघीय सांख्यिकी विभाग के हाल ही में जारी आंकड़ों से इसकी साफ तौर पर पुष्टि होती है। सफाई और कैटरिंग उद्योग में खासतौर से आप्रवासी पृष्ठभूमि के लोगों की संख्या बहुत ज्यादा, यानी तकरीबन 60 और 46 फीसदी है। ये आंकड़े 2022 के हैं।
कुल मिलाकर 2022 में नौकरी करने वाले 15 से 64 साल की उम्र के लोगों में विदेशियों की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है। इसमें विदेशी उन लोगों को माना गया है, जो खुद या फिर जिनके मां-बाप 1950 के बाद जर्मनी आए।
2022 में ऐसे लोगों की हिस्सेदारी ट्रांसपोर्ट और माल ढुलाई के पेशों में भी औसत से ज्यादा, करीब 38 और 36 फीसदी थी। इसके अलावा केयरगिवर, यानी नर्सिंग जैसे पेशों में 15 से 64 साल के आयु वर्ग में 30 फीसदी लोग विदेशी थे। डॉक्टरों के लिए यह आंकड़ा 27 फीसदी है जबकि पर्सनल केयर जैसे कि हेयरड्रेसर या फिर ब्यूटीशियन जैसे पेशों में 36 फीसदी।
हालांकि पुलिस या फिर न्याय प्रशासन में यह कहानी बिल्कुल उलटी है। इन जगहों पर महज छह फीसदी, यानी 16 में से सिर्फ एक कर्मचारी ही विदेशी है। स्कूल टीचरों में 11 फीसदी जबकि बैंकिंग और इंश्योरेंस के क्षेत्र में विदेशी मूल के कर्मचारी 16 फीसदी हैं।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)