एटीएम कार्ड जितनी बड़ी इस मशीन में एक माइक्रोफोन लगा है जो बातचीत के लहजे, रफ्तार और वॉल्यूम को दर्ज करेगा। क्या कहा जा रहा यह रिकॉर्ड नहीं होगा। लेकिन बात करने के अंदाज से पता चलेगा कि ट्रैकिंग डिवाइस पहनने वाले शख्स का मूड कैसा है और वह क्या कर रहा है। उदाहरण के लिए गुस्से में लहजा अलग होगा, रात को सोते समय बिस्तर में आवाज अलग होगी। आवाज के विश्लेषण से तनाव, शांति या खुशी का अंदाजा लगाया जा सकेगा। मशीन धड़कन के आंकड़े भी जुटाएगी।
कंपनी के सीईओ बेन वेबर ने ब्रिटेन के अखबार द टाइम्स से कहा कि मशीन "यह देखेगी कि आपने कितनी बात की, किससे बात की, बातचीत में आपका लहजा कैसा था, एक्टिविटी लेवल क्या था और कितनी बार आपने दखल दिया।"
वेबर के मुताबिक सुबह अच्छे से पता चल सकेगा कि लोग कैसे संवाद कर रहे हैं, उनकी और उनके आस पास मौजूद लोगों की मनोदशा कैसी है। इसके आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे कितनी कुशलता से काम कर पाएंगे। वेबर को उम्मीद है कि उनकी मशीन उत्पादकता बढ़ाने में कंपनियों की मदद करेगी।