जब आपदाएं आती हैं तो बहुत से लोग सामाजिकता और एकजुटता दिखाने की बजाय अपना उल्लू सीधा करने में लग जाते हैं। अपराधियों की बन आती है। जर्मन पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ चेतावनी दी है, जो कोरोना संकट से फायदा उठाना चाहते हैं।
जैसे-जैसे कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, लोगों में चिंता भी बढ़ रही है। जर्मनी सहित कई देश कुछ इलाकों में या पूरे देश में कर्फ्यू लगाने पर विचार कर रहे हैं या लगा चुके हैं। ऐसे में लोगों की चिंता सिर्फ स्वास्थ्य को लेकर ही नहीं है, बल्कि आने वाले समय में खाने-पीने और जरूरत के दूसरे सामानों को लेकर भी फिक्र है।
बहुत से लोग भारी खरीदारी कर रहे हैं जबकि दूसरे लोगों को बाजार जाने पर जरूरत की चीजें मिल नहीं रही हैं। तेल, नमक, चीनी या टॉयलेट पेपर जैसी चीजें दुकानों में सारा समय उपलब्ध नहीं हैं। मास्क और सैनिटाइजर की तो बात ही छोड़ दीजिए।
जब असुरक्षा और अनिश्चितता का समय होता है तो अपराधी भी सक्रिय हो जाते हैं और लोगों को बेवकूफ बनाकर या उनकी स्थिति का फायदा उठाकर मुनाफा कमाने की सोचते हैं। जर्मनी में लोवर सेक्सनी प्रांत की पुलिस की अपराध शाखा ने चेतावनी दी है कि अपराधी लोगों के डर का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रांतीय अपराध कार्यालय की प्रवक्ता कातरीन ग्लाडित्स के अनुसार कि कोरोना इस समय लोगों में सबसे ज्यादा चिंता पैदा कर रहा है और धोखाधड़ी करने वाले बहुत रचनात्मक हैं। वे लोगों को बेवकूफ बनाकर ठगने के नए नए तरीके ढूंढ रहे हैं।
इंटरनेट में एक जाली ऑनलाइन शॉप पर पुलिस की नजर है, जो मास्क बेचने का दावा करता है। कातरीन ग्लाडित्स कहती हैं कि ऑनलाइन शॉप चलाने वाले से संपर्क करने की अब तक की कोशिश नाकाम रही है। उन्होंने जाली पुलिस वालों से भी सावधान रहने की अपील की है।
कातरीन ग्लाडित्स कहती हैं कि अपराधी लोगों के घर जाते हैं कि पुलिस या स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी होने का दावा करते हैं और मुंह से टेस्ट के लिए सैंपल लेने या उन्हें क्वारंटाइन में डालने की बात करते हैं। प्रांतीय पुलिस की प्रवक्ता का कहना है कि असली पुलिसकर्मी या स्वास्थ्य अधिकारी सबसे पहले अपना पहचान पत्र दिखाएंगे।
इससे पहले जर्मनी के आबादी सुरक्षा और आपदा प्रबंधन कार्यालय ने भी धोखेबाजों के खिलाफ चेतावनी दी थी और लोगों को सावधान रहने को कहा था। अपराधी सुरक्षा ड्रेस और मास्क पहने होते हैं और लोगों के घरों में घुसने की कोशिश करते हैं। जर्मनी में बुजुर्गों की बड़ी आबादी है, जो आमतौर पर अकेले रहते हैं। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में भी लोगों के धोखेबाजों का निशाना बनने का खतरा है।