आइंस्टीन का पत्र
1931
आदरणीय मिस्टर गांधी
हमारे घर में आपके मित्र की उपस्थिति का फायदा उठाते हुए मैं आपको ये पंक्तियां भेज रहा हूं। आपने अपने कार्यों से दिखा दिया है कि बिना हिंसा के सफल होना संभव है, वो भी उन लोगों के साथ जो हिंसक तरीके से अलग नहीं हुए। हम उम्मीद कर सकते हैं कि आपका उदाहरण आपके देश की सीमाओं के बाहर फैलेगा, और ऐसी अंतरराष्ट्रीय अथॉरिटी स्थापित करने में मदद करेगा, जिसका सम्मान सब करें, जो फैसले करे और युद्ध वाले विवादों को खत्म करे।
लंदन
अक्टूबर 18, 1931
प्यारे मित्र,
सुंदरम के जरिए भेजे गए आपके सुंदर पत्र को पाकर मैं आनंदित हूं। मेरे लिए यह महान सांत्वना की बात है कि जिस काम को मैं कर रहा हूं वह आपकी नजरों को पसंद आ रहा है। मैं भी वाकई में कामना करता हूं कि हम आमने सामने मिल सकें, वह भी भारत में, मेरे आश्रम में।