जी20 की शिखर बैठक ऐसे मौके पर हुई, जब दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दो भागों में बंटी हुई है। ऐसे में जहां यूरोपीय देश और अमेरिका इस मौके को रूस को संदेश देने के लिए इस्तेमाल करना चाह रहे थे। वहीं भारत का सभी पक्षों को घोषणा पत्र पर राजी करने की जुगत कर रहा था। ऐसे में आर्थिक मोर्चे पर किसी बड़े आर्थिक मुद्दे पर सहमति की संभावना नहीं थी। ऐसे में जी20 में बहुत समझदारी से क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन पर बनाई गई सहमति सबसे अहम आर्थिक समझौता रहा। बता दें कि चीन ने क्रिप्टो पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है।
इसके अलावा कर्ज के बोझ तले दबे ग्लोबल साउथ के देशों के लिए कर्ज की राहत के लिए मल्टीलैटरल डेवपलमेंट बैंक और यूरोप तक का ट्रेड कॉरिडोर भी कुछ बड़े कदम रहे। हालांकि भारत अपनी अध्यक्षता में चीन पर दबाव बनाकर गरीब और कर्ज से दबे देशों को राहत देने की जो मंशा रखता था, उसमें उसे सफलता नहीं मिल सकी।
भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स में आधिकारिक हवाले से कहा जा रहा है कि चीन को छोड़कर ज्यादातर देश ऐसे समझौते के करीब पहुंच चुके है, जिसमें कर्ज तले दबे देशों के कर्ज का प्रबंधन किया जाना है। हालांकि समिट खत्म होने तक ऐसा नहीं हो सका।
खराब होती चीनी अर्थव्यवस्था के बीच गरीब देशों पर कर्ज के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक बनाने पर सहमति बनी है। यह बैंक इन देशों को राहत देने के लिए सस्ती दरों पर कर्ज देगा।
क्रिप्टो पर दुनिया ने लिया यू-टर्न
क्रिप्टो के विनियमन पर सहमति को बड़ी सफलता माना जा रहा है लेकिन भूलना नहीं चाहिए कि क्रिप्टो के मामले में यह दुनिया का एक यूटर्न भी है। इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि आखिरकार पूरी दुनिया को इस टेक्नोलॉजी के सामने झुकना पड़ा। तो यह मुद्रा जिसे भारत और दुनिया की आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया जा रहा था, आखिर उसके बने रहने की घोषणा हो गई।
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी बोर्ड ने 45 पन्नों का एक डॉक्यूमेंट जी20 में पेश किया था। इन बड़ी संस्थाओं की ओर से कहा गया था कि क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है, इसलिए इसे रेगुलेट किया जाना चाहिए। यह वही आईएमएफ है, जो कुछ साल पहले तक क्रिप्टो को दुनिया के लिए खतरा बता रहा था। जी20 के अध्यक्ष भारत के ही केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक के गवर्नर इसे पोंजी स्कीम तक करार दे चुके थे।
भारत डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के अपने अनुभव और ज्ञान को भी दुनिया तक ले जाना चाहता है। इसके जरिए उसका लक्ष्य दुनिया में आर्थिक समावेश को बढ़ावा देना है। इस पर भी काम किए जाने पर बात हुई। इसे जी20 फाइनेंशियल इंक्लूजन एक्शन प्लान 2024-26 में भी शामिल किया गया है।
शिखर सम्मेलन की पहली बैठक वैश्विक पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित थी। भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लाइफस्टाइल ऑफ इनहायर्नमेंट मिशन, ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी पहलकदमियों की चर्चा की। उन्होंने ग्रीन क्रेडिट इनिशिएटिव पर काम शुरू करने के साथ साथ जी20 सैटेलाइट मिशन फॉर इनबायर्नमेंट एंड क्लाइमेट ऑब्जर्वेशन लॉन्च करने का प्रस्ताव दिया।
जी20 के नेताओं की घोषणा में अक्षय ऊर्जा की विश्वव्यापी क्षमता को तिगुना करने के प्रयासों को समर्थन देने की बात कही गई है। घोषणा में फोसिल ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल रोकने की मांग नहीं की गई है लेकिन कहा गया है, “हम जलवायु परिवर्तन सहित पर्यावरण संकटों और चुनौतियों से निबटने के लिए अपने कदमों को फौरन तेज करने का वचन देते हैं।