यूक्रेन युद्ध के हाल-फिलहाल खत्म होने की उम्मीद नहीं दिखती है। यूक्रेन को फंड चाहिए। उसे मदद देने वाले देशों में अमेरिका के बाद जर्मनी दूसरे नंबर पर है। जर्मन सरकार के आगे खड़ा बजट का संकट क्या इस फंडिंग पर असर डालेगा?
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने जोर दिया कि रूसी हमले के खिलाफ यूक्रेन की लड़ाई में देश अपना समर्थन जारी रखेगा। शॉल्त्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "जर्मनी, यूरोप में यूक्रेन का सबसे मजबूत समर्थक है और आगे भी बना रहेगा।"
हालिया खबरों के मुताबिक, जर्मनी यूक्रेन को दी जाने वाली आर्थिक सहायता घटाने की योजना बना रहा है। जर्मन सरकार 2025 के बाद अपने बजट से यूक्रेन को आर्थिक मदद नहीं देना चाहती। जर्मन अखबार 'फ्रांकफुर्टेर अलगेमाइन त्शाइटुंग' ने पिछले हफ्ते एक खबर में बताया कि जर्मनी की गठबंधन सरकार इस मद में खर्च घटाना चाहती है।
अखबार के मुताबिक, वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर ने 5 अगस्त को रक्षा मंत्रालय को भेजे अपने एक पत्र में लिखा कि भविष्य में यूक्रेन को दी जाने वाली आर्थिक सहायता जर्मनी के बजट से नहीं, बल्कि फ्रीज की गई रूसी संपत्तियों से हुई आमदनी से की जाएगी।
अगले साल के बजट में भी कटौती
समाचार एजेंसी एएफपी ने एक संसदीय सूत्र के हवाले से बताया कि 2025 में भी यूक्रेन को दी जा रही सैन्य मदद घटाकर आधी करने की योजना है। जर्मनी ने 2024 के बजट में यूक्रेन की आर्थिक सहायता के लिए करीब 750 करोड़ यूरो की रकम का आवंटन किया। अगले साल के बजट में यह रकम घटाकर आधी करने की खबर है।
जर्मनी की गठबंधन सरकार के तीनों सहयोगी दलों (एसपीडी, एफडीपी और ग्रीन्स) के बीच 2025 के बजट के मसौदे पर शुरुआती सहमति बनी है। खबरों के अनुसार, बजट की चुनौतियों के मद्देनजर बाकी जरूरी खर्चे पूरे करने के लिए यूक्रेन की फंडिंग में लगभग 400 करोड़ यूरो की कटौती की जाएगी। इसके बाद के सालों में, यानी 2026 से जर्मन सरकार अपने संघीय बजट में यूक्रेन के लिए कोई फंड आवंटित नहीं करना चाहती है।
जी-7 सम्मेलन में क्या तय हुआ
इसी साल इटली में हुए जी-7 देशों के सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच यूक्रेन को अतिरिक्त फंडिंग मुहैया कराने पर एक समझौता हुआ था। घोषणा के मुताबिक, इस साल के अंत तक यूक्रेन के लिए करीब 5,000 करोड़ यूरो का अतिरिक्त फंड जमा किया जाएगा।
यह रकम यूक्रेन को बतौर कर्ज दी जाएगी। इसका ब्याज चुकाने के लिए बाकी स्रोतों के अलावा जब्त की गई रूसी संपत्तियों से हुए मुनाफे या ब्याज का इस्तेमाल करने पर सहमति बनी। यह रकम यूक्रेन के लड़ाई से जुड़े खर्चों और आर्थिक पुनर्निर्माण के मद में खर्च किए जाने की योजना है। 5,000 करोड़ यूरो की इस रकम को "अतिरिक्त फंड" बताया गया। यानी, यह राशि अमेरिका और जर्मनी समेत यूक्रेन को आर्थिक मदद देने वाले देशों के राष्ट्रीय योगदान से इतर है।
पक्ष और विपक्ष, दोनों तरफ के दलों में आलोचना
अमेरिका के बाद जर्मनी, यूक्रेन को सबसे ज्यादा सैन्य सहायता दे रहा है। कटौती की खबरों पर जर्मनी के राजनीतिक हलके से सख्त प्रतिक्रियाएं आईं। सत्तारूढ़ एसपीडी के ही नेता और बुंडेस्टाग (जर्मन संसद का निचला सदन) की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष मिषाएल रोठ ने फुंके अखबार से बातचीत में कहा, "यह केंद्र सरकार की ओर से यूक्रेन के लिए एक घातक संकेत है।"
यूक्रेनी सेना को कुर्स्क में मिली हालिया बढ़त के संदर्भ में रोठ ने कहा, "कई महीनों में पहली बार यूक्रेनी सेना फिर से चढ़ाई कर रही है और उसे यूरोप में अपने सबसे अहम सैन्य सहयोगी जर्मनी के पूरे समर्थन की जरूरत है। इसकी जगह भविष्य में सैन्य सहायता के लिए फंडिंग देने से जुड़ी बहस, जर्मनी की ओर से अपनी जिम्मेदारी से हटने जैसा लग रहा है।"
जर्मनी के बजट संकट के संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा कि "हमें यूक्रेन के भविष्य को डेट ब्रेक (जर्मन सरकार के कर्ज लेने की सीमा) की वेदी पर कुर्बान नहीं करना चाहिए।"
गठबंधन सरकार में शामिल ग्रीन्स पार्टी के नेता ओमिड नूरीपोर ने भी एआरडी टेलिविजन को दिए एक इंटरव्यू में चिंता जताई, "यह अच्छा संकेत नहीं है। यूक्रेन के लिए तो निश्चित तौर पर नहीं। ना ही हमारे सहयोगी देशों के लिए, जो कि इसमें शामिल हैं।"
जर्मनी की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) ने भी जर्मन सरकार पर यूक्रेन का साथ छोड़ देने का इल्जाम लगाया। सीडीयू रूसी संपत्तियों से होने वाली आमदनी को जर्मन फंडिंग के पूरक की तरह नहीं, बल्कि अतिरिक्त फंड की तरह दिए जाने का समर्थक है।
सरकार ने क्या कहा
जर्मन सरकार के प्रवक्ता वोल्फगांग बुशनर ने यूक्रेन के लिए बजट में कटौती की खबरों का खंडन किया है। उन्होंने कहा, "ऐसी रिपोर्टें जिनमें संकेत दिया जा रहा है कि हम आर्थिक मदद में कटौती कर रहे हैं, सिरे से गलत हैं।" उन्होंने जोर दिया कि जब तक जरूरी हो, यूक्रेन को समर्थन देने के लिए जर्मनी पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
बुशनर ने भरोसा जताया कि इस साल के अंत तक कोई व्यवस्था तय कर ली जाएगी। उन्होंने कहा, "किसी और यूरोपीय देश ने यूक्रेन के लिए मदद की (हमसे) ज्यादा योजना नहीं बनाई है, यहां तक कि अगले साल भी।" हालांकि, उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि जब्त की गई रूसी संपत्तियों से होने वाले बड़े मुनाफों को देखते हुए आने वाले सालों में जर्मनी की ओर से दी जाने वाली मदद में कमी आना स्वाभाविक है।
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने भी आश्वस्ति के स्वर में कहा, "हम आगे भी यह सुनिश्चित करेंगे कि यूक्रेन को आजादी और खुद के लिए फैसले लेने के अधिकार से जुड़ी अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए जरूरी फंड मिले।"
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वह अतिरिक्त जरूरतों पर ध्यान देने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने भी कहा कि सभी मंत्रालयों को यकीन है कि फौरी जरूरतों के लिए "व्यावहारिक समाधान" तलाश लिए जाएंगे।
जर्मनी की मौजूदा गठबंधन सरकार के लिए एक ओर जहां जरूरी बजट जुटाना बड़ा संकट बना हुआ है, वहीं बजट और खर्चों पर सहमति बनाना एक चुनौती रहा है। एसपीडी और ग्रीन्स सामाजिक कल्याण और जलवायु सुरक्षा से जुड़़े मामलों पर ज्यादा फंडिंग चाहते रहे हैं। वहीं, एफडीपी सरकार के स्तर पर खर्च में कटौती की पक्षधर है।
नवंबर 2023 में फेडरल कॉन्स्टिट्यूशन कोर्ट के आदेश के बाद से सरकार के हाथ तंग हैं। कर्ज लेने पर सीमा लगी हुई है। सरकार के लिए बजट का संकट खड़ा हो गया है। अदालती फैसले की रोशनी में सरकार को ज्यादा कर्ज लेने से बचाने के लिए वित्त मंत्री लिंडनर ने बाकी मंत्रालयों से बचत करने को कहा है।