यूरोप जाने के लिए 'ग्रीन पास' बना भारतीयों के लिए मुसीबत

DW

गुरुवार, 1 जुलाई 2021 (08:20 IST)
रिपोर्ट : आमिर अंसारी
 
1 जुलाई से यूरोपीय संघ के भीतर स्वतंत्र रूप से यात्रा करने के लिए 'ग्रीन पास' की आवश्यकता होगी। इटली के मटेरा में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर भारतीय भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रतिनिधि योसेप बोरेल के साथ मिलकर यूरोपीय संघ के कोविड-19 वैक्सीनेशन पासपोर्ट में कोविशील्ड को भी शामिल करना का मुद्दा उठाया। बोरेल के साथ मुलाकात के बाद उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि योसेप बोरेल के साथ साथ हमारे संबंधों की एक व्यापक समीक्षा हुई। यूरोप की यात्रा के लिए कोविशील्ड को प्राधिकार करने का मुद्दा उठाया गया। आगे भी इस पर नजर बनाए रखेंगे।
 
भारत में ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन को उसके स्थानीय निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने नाम दिया है। इसे यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) द्वारा मान्यता नहीं दी गई है क्योंकि एजेंसी के मुताबिक उसे अभी तक है इस संबंध में पुणे स्थित एसआईआई द्वारा अनुरोध नहीं मिला है।
 
इस बीच यूरोप की यात्रा करने के लिए कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले यात्रियों को ईएमए से मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता है। ग्रीन पास जो ईयू के भीतर स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की इजाजत देता है वह 1 जुलाई से लागू हो रहा है।
 
क्या है ग्रीन पास?
 
ईयू ने ब्लॉक में यात्रा करने के लिए यूरोपीय और गैर यूरोपीय नागरिकों को डिजीटल ग्रीन पास सुविधा देने का ऐलान किया है। ग्नीन पास वाले यात्रियों को बिना किसी रोक टोक के ईयू में यात्रा की करने की इजाजत होगी। हालांकि ग्रीन पास उन्हें ही मिलेगा जिन्होंने ईयू द्वारा स्वीकृत वैक्सीन लगवाई हो।
 
कुछ रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि देशों द्वारा चिंता जताए जाने और विरोध के बाद ईयू ने कहा है कि सदस्य देशों को अन्य वैक्सीन को भी मंजूर करने का विकल्प है, खासतौर पर वे टीके जिन्हें डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त है।
 
ग्रीन पास के लिए कौन सी वैक्सीन जरूरी
 
ईएमए ने अपने ग्रीन पास के लिए केवल चार टीकों को मंजूरी दी है। ये टीके हैं- वैक्सजेवरिया (ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका), फाइजर-बायोनटेक एसई, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन। भारत में ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका एसआईआई के साथ मिलकर वैक्सीन उत्पादन कर रही है लेकिन यूरोप में जो वैक्सीन वह इस्तेमाल कर रही है उसका नाम अलग है।
 
सोमवार को एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि मुझे एहसास है कि बहुत सारे भारतीय जिन्होंने कोविशील्ड का टीका लिया है, उन्हें यूरोपीय संघ की यात्रा के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैंने इसे उच्चतम स्तर पर उठाया है और उम्मीद है कि इस मामले को जल्द ही दोनों नियामकों और कूटनीतिक स्तर पर हल किया जाएगा।
 
इस बीच अफ्रीकी संघ ने चेतावनी दी है कि यूरोपीय संघ द्वारा भारत में निर्मित एस्ट्राजेनेका कोविड-19 टीकों की गैर-मान्यता से अफ्रीका में वैक्सीन लेने वालों को नुकसान पहुंचाएगा। सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में अफ्रीकी संघ (एयू) और अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने कहा कि नियम अफ्रीका में टीका लेने वाले लोगों के न्यायसंगत उपचार को जोखिम में डालते हैं।
 
भारत में कोविशील्ड के अलावा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, स्पूतनीक वी का इस्तेमाल किया जा रहा है। देश में अब अमेरिका की मॉडर्ना वैक्सीन को लाइसेंस मिल गया है। वैक्सीन को आपात मंजूरी में इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दवा कंपनी सिपला को मॉडर्ना के टीके आयात करने को मंजूरी दी है। उम्मीद की जा रही है कि भारत में निकट भविष्य में 2 और टीकों को मंजूरी मिल सकती है।

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