मानव निर्मित घटनाएं प्राकृतिक संसाधनों को चौपट कर रही हैं। पेड़ पौधे मिट रहे हैं, नदियां, तालाब, पोखर आदि विलुप्त हो रहे हैं और भूजल सूख रहा है। जानिए किस किस वजह से भूजल पर असर पड़ता है।
कोल्ड ड्रिंक
भारत में पानी को कोल्ड ड्रिंक के प्लांट जहां जहां भी लगे, वहां भूजल पर असर पड़ा। बड़ी कंपनियां देश में नियमों के अभाव का फायदा उठा रही हैं।
फैक्ट्रियां
केवल कोल्ड ड्रिंक ही नहीं, अन्य फैक्ट्रियों का भी भूजल पर बुरा असर पड़ता है। अथाह औद्योगिकीकरण भूजल के गिरते स्तर के लिए जिम्मेदार है।
खनन
बेहिसाब खनन और खुदाई भी भूजल पर असर डाल रही है। इंसान अपने लालच ले चलते लगातार प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहा है।
शहरीकरण
शहरी इलाकों में अंधाधुंध निर्माण भी भूजल पर असर डाल रहा है। इमारतों के निर्माण के लिए भी पानी की जरूरत है और उनमें रहने वालों के लिए भी।
कृषि
सिर्फ शहर ही नहीं बढ़ रहे हैं, बल्कि खेती की जमीन कम भी हो रही है। गावों में खेती की जमीन पर अब पक्के घर और बाजार बनने लगे हैं, जिससे जमीन की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
आबादी
शहरों में आबादी का अत्यधिक दबाव जिसका असर अपार्टमेंटों और कॉलोनियों के रूप में नजर आता है। मोटर लगा कर जमीन के नीचे से जबरन पानी खींचा जाता है लेकिन इसके परिणाम के बारे में कोई नहीं सोचता।
प्राकृतिक आपदा
सूखा और अनियंत्रित बाढ़ दोनों ही भूजल पर असर करते हैं। जमीन के पास पानी को सोखने की एक क्षमता होती है। इसके बाद वह बेकार होने लगती है।
जंगलों की आग
मोटे तौर पर इसे भी प्राकृतिक आपदा माना जा सकता है लेकिन कहीं ना कहीं जंगलों की आग के लिए इंसान जिम्मेदार होता है। इस तरह की आग के बाद जमीन को सामान्य होने में सालों लग जाते हैं।
नदियों का जलस्तर
इसमें कमी या बदलाव से आसपास के इलाकों में भूजल पर असर पड़ता है। साल 2025 तक भारत पानी की कमी की चपेट में होगा।