युवाओं के बीच कैसे बेरोजगारी खत्म करना चाहता है चीन

DW
शनिवार, 27 जुलाई 2024 (08:12 IST)
चीन में युवा बेरोजगारी के दो पहलू हैं, एक रोजगार के अवसरों की कमी और दूसरा युवाओं में रुचि की कमी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पार्टी के शीर्ष अधिकारियों को इस मुद्दे को प्राथमिकता देकर हल करने का आदेश दिया है।
 
शंघाई में ग्रैजुएशन पूरा करने वाले छात्रों के लिए बीते दिनों एक रोजगार मेले का आयोजन किया गया। भर्ती करने आए नियोक्ता बारिश के बीच तिरपालों के नीचे ऊब रहे थे क्योंकि रुचि की कमी ने संभावित युवा उम्मीदवारों को दूर रखा।
 
रोजगार मेले में आए डेटा साइंस के एक छात्र ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "ऐसी नौकरी खोजना मुश्किल है, जो आपकी डिग्री और आपकी आकांक्षाओं से मेल खाती हो।"
 
चीन में बेरोजगारी
शंघाई में आयोजित रोजगार मेले में हॉस्पिटैलिटी और ह्यूमन रिसोर्स कंपिनयां का दबदबा रहा। यह मेला चीन की यूनिवर्सिटी से निकलने वाले छात्रों की आमद की प्रत्याशा में स्थानीय अधिकारियों द्वारा आयोजित अनेक मेलों में से एक था। एक रेस्तरां चेन के लिए भर्ती करने आईं जूलिया शाओ ने कहा, "बहुत से कॉलेज छात्रों की उम्मीदें वास्तव में बहुत अधिक होती हैं।" उन्होंने कहा वे एंट्री लेवल के पदों की तुलना में अधिक प्रतिष्ठित और बेहतर सैलरी वाली जॉब पसंद करते हैं।
 
डिग्री और करियर से जुड़ी उम्मीदों में साम्यता की कमी जैसे कारणों से रोजगार मेले में भले ही सीटें खाली रही हों, लेकिन चीन में बेरोजगारी दर काफी ज्यादा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जून में 1।18 करोड़ छात्र ग्रैजुएट हुए। इससे एक महीने पहले मई में युवा बरोजगारी दर 14।2 प्रतिशत आंकी गई थी। पिछले साल तो यह आंकड़ा और भी ज्यादा था। 2023 के मध्य में युवा बेरोजगारी दर 21।3 प्रतिशत के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी।
 
एएफपी के अनुसार, यह समस्या इतनी गंभीर है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शीर्ष कार्यकर्ताओं से कहा है कि इसे "सर्वोच्च प्राथमिकता" दी जानी चाहिए। मई में सीसीपी पोलित ब्यूरो में दिए भाषण में भी राष्ट्रपति जिनपिंग ने विश्वविद्यालय के ग्रैजुएटों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने को जिक्र किया था। विश्लेषकों को उम्मीद है कि दीर्घकालिक आर्थिक नीतियों को निर्धारित करने के लिए बीजिंग में सत्तारूढ़ पार्टी की बैठक खत्म होने से पहले सुधार पेश किए जाएंगे।
 
किन चुनौतियों से जूझ रहा है चीन
लगातार कम खपत और रियल एस्टेट में लंबे समय तक संकट, साथ ही कोरोना वायरस के बाद बेरोजगारी, ये तमाम मसले चीन के आर्थिक सुधार में सबसे बड़ी बाधाएं हैं। मूडीज एनालिटिक्स के हैरी मर्फी क्रूज के मुताबिक, राष्ट्रपति जिनपिंग की टिप्पणी साफ तौर से नीति में बदलाव का संकेत देती है। राष्ट्रपति के अनुसार, युवाओं को प्रमुख क्षेत्रों और उद्योगों में नौकरी खोजने या कारोबार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
 
मर्फी क्रूज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है सरकार वेतन सब्सिडी बढ़ाएगी, ताकि कंपनियां हाल ही में ग्रैजुएट हुए युवाओं को नौकरी पर रखें। साथ ही, छात्रों के लिए अधिक रोजगार के मौके पैदा करेगी।
 
राष्ट्रपति जिनपिंग के रोजगार संबंधी निर्देश पर मेबैंक में मैक्रो रिसर्च की डायरेक्टर एरिका ताई कहती हैं कि यह बयान चीन के नेतृत्व की ओर से लगातार आ रही टिप्पणियों के बाद आई है, जिसमें मामले की अति-आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। एरिका ताई का कहना है कि अब उन पदों को भरने पर जोर दिया जा रहा है, जो "नीतिगत प्राथमिकताओं के साथ मेल खाते हैं" या जहां कौशल की कमी है, जैसे इंडस्ट्रियल अपग्रेडशन और साइंटिफिक इनोवेशन।
 
एरिका ताई यह भी बताती हैं कि समाजशास्त्र, पत्रकारिता और कानून की डिग्री रखने वालों के लिए अवसर कम होते जा रहे हैं। वह लोगों को उच्च मांग वाले कौशल में प्रशिक्षित करने में मदद करने के लिए सरकारी स्पॉन्सर्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम लागू करने का सुझाव देती हैं।
 
क्या चीन में और बढ़ेगी बेरोजगारी?
22 साल की कानून की छात्रा कियान ले ने शीर्ष लॉ कंपनियों में हालिया छंटनी और वेतन कटौती का हवाला देते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बाद पेशेवरों के लिए भी काम पर बने रहना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि नए लोगों के लिए नौकरी पाना मुश्किल हो गया है।
 
कियान और उसकी क्लासमेट वांग हुई, दोनों ने आगे की पढ़ाई जारी रखने का विकल्प चुना है। वांग कहती हैं, "आर्थिक स्थिति काफी सुस्त है। कई कंपनियां दिवालिया हो गई हैं और कई नौकरियां कम हो गई हैं।"
 
तकनीकी कंपनियों और निजी ट्यूशन क्षेत्र पर अतीत में हुई सरकारी कार्रवाइयों के कारण चीन के निजी क्षेत्र को बड़ी मंदी का सामना करना पड़ा है। कई युवा अब सिविल सेवाओं को अधिक स्थिर विकल्प के रूप में देखते हैं, या वांग और कियान की तरह पोस्ट ग्रैजुएशन कर रहे हैं। ताई ने बताया कि मार्च में यूनिवर्सिटियों ने अपने छात्रों से सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश करने का आग्रह किया था।
 
वांग चिंता जताती हैं, "प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा है और ग्रैजुएट्स की संख्या हर साल धीरे-धीरे बढ़ रही है।" एक अन्य कानून के छात्र कार्ल हू का कहना है कि समस्या नौकरी खोजना नहीं है, बल्कि वेतन और लाभ के लिहाज से बेहतर करियर की तलाश करना है। कार्ल हू कहते हैं कि उन्हें एक बैंक में अच्छी नौकरी मिल गई है, लेकिन कई लोगों को "अपनी उम्मीदें कम करनी होंगी।"
एए/एसएम (एएफपी)

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